न्यूज डेस्क
भले ही सरकार खुलकर स्वीकार नहीं कर रही कि देश में आर्थिक मंदी की वजह से परेशानी खड़ी हो गई है, लेकिन आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए सरकार नित नये कदम उठा रही है। पिछले दिनों वित्त मंत्री सीतारमण ने प्रेस कांफ्रेंस कर आर्थिक सुधार के लिए कई बड़े ऐलान किया था। अब आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए सरकार 400 जिलों में ‘लोन मेला’ लगाने जा रही है।
19 सितंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से कहा है कि वे मार्च, 2020 तक सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों के दबाव वाले कर्ज को एनपीए घोषित नहीं करें। इसके साथ ही सरकार ने बैंकों से एमएसएमई के कर्ज के पुनर्गठन पर काम करने को कहा है। सीतारमण ने यह भी कहा कि कर्ज लेने के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से 400 जिलों में ‘लोन मेला’ लगाया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रिजर्व बैंक की ओर से पहले ही परिपत्र जारी किया जा चुका है, जिसमें कहा गया है कि एमएसएमई के दबाव वाले कर्ज को एनपीए घोषित नहीं किया जाए।
ऐसा करने से क्या फायदा होगा, वित्त मंत्री ने बताते हुए कहा कि इससे एमएसएमई क्षेत्र की मदद हो सकेगी। वित्त मंत्री ने बताया कि बैंकों ने कुछ ऐसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की पहचान की हैं, जिन्हें कर्ज उपलब्ध कराया जा सकता है। ऐसे में कर्ज लेने के इच्छुक लोगों को नकदी और ऋ ण उपलब्ध कराया जा सकेगा।
वित्त मंत्री ने बताया कि बैंक कर्ज देने के इरादे से 29 सितंबर से पहले 200 जिलों में एनबीएफसी और खुदरा कर्जदारों के साथ बैठक करेंगे। दूसरे चरण में 10 अक्टूबर से 15 अकटूबर के बीच 200 अन्य जिलों में ऐसी बैठकें होंगी। कुल मिलाकर 400 जिलों में इस प्रकार की बैठकें होंगी।
सीतारमण ने कहा कि इसके पीछे सोच यह है कि त्योहारों के दौरान ज्यादा-से-ज्यादा कर्ज देना सुनिश्चित किया जा सके। दिवाली अक्टूबर में है और इसे देश में खरीदारी का सबसे अच्छा समय माना जाता है। खुली बैठकों के दौरान खुदरा, कृषि, MSME (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों) आवास एवं अन्य क्षेत्रों के लिए कर्ज उपलब्ध कराए जाएंगे।
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