जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। पूरे विश्व के लिए तालिबान अब सबसे बड़ा खतरा बनकर सामने आता नजर आ रहा है। अफगानिस्तान में तालिबान ने एक बार फिर अपना पैर जमा लिया है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि बहुत जल्द तालिबान अफगास्तिान की सत्ता पर काबिज हो जायेगा। 20 साल बाद एक बार फिर तालिबान अफगास्तिान में राज करने की तैयारी में है लेकिन तालिबान अब पूरी तरह से बदल चुका है।
अफगानिस्तान के कांधार के रहने वाले मुल्ला मोहम्मद ओमर ने 50 हथियारबंद लड़कों के साथ मिलकर तालिबान को पहली बार बनाया था तब किसी ने नहीं सोचा था एक दिन ये पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा साबित होने वाला है।
आतंकी संगठन तालिबान आधुनिक हथियारों से लैस है। इतना ही नहीं उसके पास सैकड़ों लड़ाकू गाडयि़ां हैं, लड़ाकूओं अब साफ-सुथरे कपड़े पहनते है और इसके साथ इनके पास पैसों की अब कोई कमी नहीं है।
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ऐसे में एक सवाल जहन में उठता है कि आखिर इतना पैसा कहा से आता है जो इस आतंकी संगठन को इतना मजबूत कर रहा है। आधुनिक हथियार इनको कौन देता है।
अफगानिस्तान पर कब हुआ कब्जा
- 3 नवंबर 1994 को तालिबान ने कांधार शहर पर हमला किया
- दो महीने के अंदर ही तालिबान ने अफगानिस्तान के 12 राज्यों पर पूरी पकड़
- 1995 की शुरुआत में काबुल पर बमबारी की
- करीब डेढ़ साल बाद 27 सितंबर 1996 को काबुल पर तालिबान का कब्जा हो गया
- तालिबान ने यहां पर पांच साल राज किया और शरिया कानून को लागू करने पर जोर देता रहा
तालिबान को लेकर फोर्ब्स की रिपोर्ट
2016 फोर्ब्स की रिपोर्ट तालिबान टॉप-10 आतंकी संगठनों में शामिल है और पांचवां सबसे अमीर आतंकी कहा जाता है। फोर्ब्स ने अपनी रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया है कि तालिबान का सालाना कारोबार 400 मिलियन अमेरिकी डॉलर का है। जहां तक उनके कारोबार की बात है तो उसकी कमाई ज्यादा तरह गैर-कानूनी धंधों से होती है।
इसमें नशीले पदार्थों की तस्करी में ये आतंकी संगठन अव्वल माना जाता है। विदेशों से दान में तालिबान को मोटी रकम मिलती है। इस पैसों की ताकत से उसने अफगानिस्तानर पर कब्जा किया है।
गैर कानूनी तरीके से हथियार और गोला बारूद खरीदकर पूरी दुनिया में दहशत फैला रखा है। फोर्ब्स ने कहा है कि आईएसआईएस पहले नंबर पर है, जिसका सालाना कारोबार 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।