न्यूज डेस्क
कोरोना को हराने के लिए दक्षिण कोरिया ने जो किया वो दुनिया के लिए एक मिसाल है। जिस जूझ-बूझ से दक्षिण कोरिया ने यह लड़ाई लड़ी है वह दूसरे देशों के लिए नजीर बन गया है। तभी तो कोरोना को नियंत्रित करने के लिए पूरी दुनिया में इस देश की तारीफ हो रही है।
दक्षिण कोरिया में लगातार दूसरे दिन कोरोना वायरस के संक्रमण के नए मामले 50 से भी कम मिले हैं। सोमवार को 47 नए मामले सामने आए जिसमें 17 लोग विदेश के थे। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दक्षिण कोरिया में अभी तक जो भी उपाय अपनाए गए हैं, उनमें लॉकडाउन कहीं भी नहीं है।
सुरक्षा उपायों के नाम पर ना तो कहीं बंदी की गई है ना सड़कों पर प्रतिबंध लगाया गया है और ना ही लोगों के आवाजाही को रोका गया है। कोरोना वायरस से लडऩे का दक्षिण कोरिया का सिर्फ एक मंत्र हैं और वह है पहचान, परीक्षण और इलाज।
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दुनिया के पांच सबसे अधिक संक्रमित देशों में रहे दक्षिण कोरिया ने कोरोना से लड़ाई की नई राह दिखाई । फरवरी माह में जितनी तेजी से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ी थी उससे आशंका व्यक्त की गई थी कि कोरोना वायरस यहां भारी तबाही मचायेगा, लेकिन सारी आशंकाएं निराधार साबित हुईं। दक्षिण कोरिया ने व्यापक पैमाने पर टेस्ट मैकेनिजम विकसित किया था ताकि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की पहचान कर उन्हें अलग रखा जा सके।
दक्षिण कोरिया में कोरोना का पहला मामला 4 फरवरी को आया। दस दिन में संक्रमित मरीजों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हो गयी, लेकिन सरकार ने कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए टेस्ट पर जोर देना शुरु कर दिया। यहां 27 फरवरी तक देश की चार कंपनियां टेस्टिंग किट बना रही थीं और हर दिन 20 हजार लोगों को टेस्ट किया गया। जुंग की टीम इस पर बारीकी से नजर रखी हुई है। जगह-जगह फोन बूथ की साइज का स्टेशन बनाया गया है।
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चूंकि यह वायरस धार्मिक बैठकों से निकली थी। इसलिए उसके आयोजकों ने 2.12 लाख सदस्यों के नाम और महत्वपूर्ण सूचना सार्वजनिक करने का फैसला किया था। 25 फरवरी को हुए इस समझौते के बाद से तीन लाख से ज्यादा लोगों का कोरोना टेस्ट किया गया है जो दक्षिण कोरिया में कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने में सबसे कारगर माना गया है।
यहां शुरू में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े, लेकिन इसने संक्रमण की पुष्टि के लिए टेस्ट विकसित किया। पहले जहां दक्षिण कोरिया में रोज करीब 10 हजार लोगों का मुफ्त परीक्षण हो रहा है, अब ये संख्या बढ़कर 20 हजार हो गई है।
दक्षिण कोरिया में दर्जनों ऐसे केंद्र बनाए गए हैं जहां आप गाड़ी में बैठे-बैठे टेस्ट करा सकते हैं। यहां आपके नाक और मुंह का स्वैब लिया जाता है और आप घर जा सकते हैं। यदि आप टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाते हैं तो आपको कॉल कर बताया जायेगा, जबकि नेगेटिव आने पर आपके फोन पर सिर्फ एक मैसेज भेजा जाता है। कोरोना वायरस टेस्ट के लिए बनाए गए लैब्स 24&7 काम कर रहे हैं। यहां कोरोना वायरस टेस्ट के लिए 96 पब्लिक और प्राइवेट लैब का निर्माण किया है।
दक्षिण कोरिया के स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक इस तरह से लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। यहां कोरोना वायरस से मौत की दर 0.7 फ़ीसदी है, जबकि वैश्विक स्तर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर जारी की गई दर की बात करें तो यह 3.4 फीसदी है।
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लगभग पांच करोड़ की आबादी वाला दक्षिण कोरिया कोविड 19 से लडऩे के लिए हर छोटी से छोटी कोशिश को भी तवज्जो दे रहा है। सारे स्कूल अब भी बंद हैं, दफ्तरों में लोगों को घर से काम करने को कह दिया गया है और लोगों से कहा गया है कि वे किसी समारोह और आयोजन का हिस्सा ना बनें।
फिलहाल सोल की सड़कों पर अब लोगों की धीरे-धीरे आवाज बढ़ रही है। यहां ज्यादातर लोग मास्क में दिखते हैं। हर प्रमुख इमारत के बाहर थर्मल ट्रेसिंग की व्यवस्था की गई है। हर लिफ्ट में हैंड-सेनेटाइजर की व्यवस्था की गई है। जगह-जगह लोगों को खड़ा किया है जो आते-जाते लोगों को याद दिलाते रहते हैं कि हाथ धोना है।
दक्षिण कोरिया में धीरे-धीरे ये चलन आम होता जा रहा है, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी अब भी मुस्तैद हैं। उनका मानना है कि अभी लापरवाही, खतरनाक साबित हो सकती है। अगर किसी चर्च, ऑफिस, जिम या सोसायटी में किसी एक ने भी लापरवाही की तो परिणाम भयानक हो सकते हैं।
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