जुबिली न्यूज डेस्क
वर्चुवल करेंसी बिटक्वाइन एक बार फिर चर्चा में है। पिछले कुछ दिनों में इसकी कीमत 23 हजार डॉलर से ज्यादा हो गई है, यानी करीब 17 लाख रुपए। इस साल शेयर बाजार में मची उथल-पुथल के बीच बिटक्वाइन में 170 फीसदी से ज्यादा तेजी दर्ज की है।
निवेशकों में बिटक्वाइन की बढ़ी मांग की वजह से ये उछाल आई है। ऐसा समझा जाता है कि इसको लेकर दिलचस्पी और बढ़ सकती है क्योंकि स्टारबक और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियोंं ने इसे पेमेंट के रूप में स्वीकार करना शुरु कर दिया है।
यह मुद्रा इतनी मशहूर है कि ब्लॉकचेन. इंफो के मुताबिक औसतन हर दिन 3,00,000 लेने देन होते हैं। हालांकि इसकी लोकप्रियता नगद या क्रेडिट कार्ड की तुलना में कम ही है। बहुत सारे लोग और कारोबार में इसे भुगतान के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
अनिश्चितता के दौर में पैसा सुरक्षित रखने के दूसरे तरीकों की तरह ही बिटक्वाइन को भी कोरोना महामारी से काफी फायदा हुआ है। कोरोना काल में सोना, चांदी, प्लैटिनम की कीमत कई गुना बढ़ी है और बिटकॉइन भी इसमें शामिल हो गया है।
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बिट क्वाइन एक डिजिटल करेंसी या कहें कि यह वर्चुअल करेंसी है। जैसे भारत में रूपया, अमेरिका में डॉलर, ब्रिटेन में पाउंड चलता है और ये फिजिकल करेंसी होती है, जिसे आप देख सकते हैं, छू सकते हैं और नियमानुसार किसी भी स्थान या देश में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन क्रिप्टो करेंसी की कहानी कुछ अलग है। इसे दूसरी करेंसी की तरह इसे छापा नहीं जा सकता और यही वजह है इसे आभासी यानी वर्चुअल करेंसी कहा जाता है।
बिटक्वाइन के बारे में दो बातें सबसे अहम हैं। एक तो ये कि बिटक्वाइन डिजिटल यानी इंटरनेट के जरिए इस्तेमाल होने वाली मुद्रा है और दूसरा ये कि इसे पारंपरिक मुद्रा के विकल्प के तौर पर देखा जाता है।
जेब में रखे करेंसी नोट और सिक्को से अलग बिटक्वाइन ऑनलाइन मिलते हैं। बिटक्वाइन को कोई सरकार या सरकारी बैंक नहीं छापते। बिटक्वाइन की खास संरचना के कारण अब और बिटक्वाइन ज्यादा संख्या में नहीं बन पा रहा है ऐसे में जो बिटक्वाइन हैं उनका कारोबार तेज हो गया है।
कैसे काम करता है बिटक्वाइन
बिटक्वाइन एक डिजिटल मुद्रा है। यह किसी सरकार या बैंक से नहीं जुड़ी है। इसे बिना पहचान जाहिर किए खर्च किया जा सकता है। बिटक्वाइन के इन सिक्कों को यूजर बनाते हैं। इसके लिए उन्हें इनको “माइन” करना पड़ता है। “माइन” के लिए उन्हें गणना करने की क्षमता देनी होती है और इसके बदले में उन्हें बिटकॉइन मिलते हैं।
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बिटक्वाइन के सिक्कों को शेयर बाजारों में अमेरिकी डॉलर और दूसरी मुद्राओं के बदले खरीदा भी जा सकता है। कुछ कारोबार में बिटक्वाइन मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होती है हालांकि बीते कुछ सालों में इसकी लोकप्रियता ठहरी हुई है।
बिटक्वाइन ने कैसे लगाई इतनी ऊंची छलांग
तीन साल पहले यही वो वक्त था जब पहली बार अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में इसके कारोबार को मंजूरी मिली थी। वह तब का समय था और आज के समय में इसकी कीमत आसमान पर पहुंच गई।
दिसंबर 2017 में अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में बिटक्वाइन फ्यूचर को कारोबार की इजाजत मिली। शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज और शिकागो बोर्ड ऑप ट्रेड ने इनकी खरीद बिक्री को मंजूरी दी थी।
बिटक्वाइन को लेकर लोगों में दिलचस्पी इतनी ज्यादा थी कि कारोबार की अनुमति मिलते ही इसकी कीमतों में भारी उछाल आया। 2017 के शुरुआत में इस मुद्रा की कीमत 1000 डॉलर थी जो साल के आखिर में बढ़ कर 19,783 तक पहुंच गई।
हालांकि कारोबार शुरू होने के बाद बिटक्वाइन अगले कुछ महीनों में तेजी से नीचे आया। एक साल बाद ही बिटक्वाइन की कीमत घटकर 4000 डॉलर पर चली गई। निवेशकों और बिटकॉइन में दिलचस्पी रखने वालों ने बताया कि 2017 में आए उछाल की बड़ी वजहें सट्टेबाजी और मीडिया का आकर्षण थे।
बिटक्वाइन को इतना पंसद क्यों किया गया
वास्तव में बिटक्वाइन एक कंप्यूटर कोड की श्रृंखला है। यह जब भी एक यूजर से दूरे के पास जाता है तो इस पर डिजिटल सिग्नेचर किए जाते हैं। लेन-देन खुद को गोपनीय रख कर भी किया जा सकता है। इसी वजह से यह आजाद ख्याल के लोगों, तकनीकी दुनिया के उत्साही, सटोरियों और अपराधियों के बीच काफी लोकप्रिय है।
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इसे डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। इस वॉलेट को या तो कॉइनबेस जैसे एक्सचेंज के जरिए ऑनलाइन हासिल किया जा सकता है या फिर ऑफलाइन हार्ड ड्राइव में एक खास सॉफ्टवेयर के जरिए। बिटक्वाइन का समुदाय यह तो जानता है कि कितने बिटक्वाइन हैं लेकिन वे कहां हैं इसके बारे में सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है।
यहां तक कैसे पहुंचा बिटक्वाइन
यह एक रहस्य है। बिटक्वाइन को 2009 में एक शख्स या फिर एक समूह ने शुरू किया जो सातोषी नाकामोतो के नाम से काम कर रहे थे। उस वक्त बिटक्वाइन को थोड़े से उत्साही लोग ही इस्तेमाल कर रहे थे। जब ज्यादा लोगों का ध्यान उस तरफ गया तो नाकामोतो को नक्शे से बाहर कर दिया गया।
हालांकि इससे मुद्रा को बहुत फर्क नहीं पड़ा यह सिर्फ अपनी आंतरिक दलीलों पर ही चलता रहा। 2016 में एक ऑस्ट्रेलिया उद्यमी ने खुद को बिटक्वाइन के संस्थापक के रूप में पेश किया, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उसने कहा कि उसके पास सबूतों को जाहिर करने की “हिम्मत नहीं ह।.” इसके बाद से इस मुद्रा की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है।