जुबिली स्पेशल डेस्क
हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद एक बार फिर देश में राजनीतिक घमासान देखने को मिल रहा है। अगर इस नई रिपोर्ट पर गौर करें तो इसमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति के खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं।
नई रिपोर्ट में कहा है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अडानी समूह के कथित वित्तीय कदाचार से जुड़ी ऑफशोर एंटिटी में हिस्सेदारी है।
व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि ये संस्थाएं गौतम के बड़े भाई विनोद अडानी की ओर से रुपयों की हेराफेरी करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नेटवर्क का हिस्सा थीं।
हालांकि सेबी प्रमुख ने आरोप को पूरी तरह आधारहीन करार दिया है जबकि अडानी ग्रुप ने इस मांमले पर सफाई दी है और साफ किया है कि उनके ग्रुप का सेबी चीफ के साथ कोई कारोबारी संबंध नहीं है। हिंडनबर्ग की ओर से बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं।
अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का जवाब देते हुए कहा कि रिपोर्ट में जिन लोगों या केस का जिक्र किया गया है, उससे अडानी ग्रुप का कोई कमर्शियल कनेक्शन नहीं है।
ग्रुप ने सभी आरोपों को खारिज करते कहा कि अउसकी कंपनियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को वह खारिज करता है और फिर से अपनी बात को दोहराता है कि उसकी विदेशी होल्डिंग का स्ट्रक्चर पूरी तरह से पारदर्शी है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी समूह को लेकर कहा गया है कि उसने कंपनियों का जाल बुनकर फंड को इधर से उधर किया।
वही इस रिपोर्ट को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार को निशाने पर लिया है और तत्काल इस मामले की जांच की मांग कर डाली है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “अडानी मेगास्कैम की जांच करने के लिए सेबी की अजीब अनिच्छा लंबे समय से देखी जा रही थी, खासकर सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति की ओर से.. उस समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि सेबी ने 2018 में विदेशी फंडों के अंतिम लाभकारी (यानी वास्तविक) स्वामित्व से संबंधित रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को कमजोर कर दिया था और 2019 में पूरी तरह से हटा दिया था। ”
जयराम रमेश के अनुसार, हिंडनबर्ग रिसर्च के नवीनतम आरोप गौतम अडानी की ओर से सेबी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाने के तुरंत बाद बुच के साथ लगातार दो 2022 बैठकों के बारे में नए सवाल खड़े करते हैं।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि असली अडानी शैली में, सेबी अध्यक्ष भी उनके समूह में एक निवेशक हैं. क्रोनी कैपिटलिज्म अपने चरम पर है। मोइत्रा ने यह भी मांग की कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) कथित मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करे।