Monday - 28 October 2024 - 1:20 AM

कितना खतरनाक है GDP का 23.9 फीसदी गिरना?

  • कोरोना से पहले ही पांच साल में 50 फीसदी कम हो गई थी हमारी जीडीपी
  •  8 से 4.2 पर आ गया था आंकड़ा

जुबिली न्यूज डेस्क

देश की अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। देश की अर्थव्यवस्था को लेकर अर्थशास्त्री से लेकर तमाम बुद्धजीवी चिंता में हैं। चिंतित होने का कारण भी है क्योंकि 1996 से भारत में तिमाही नतीजों की गणना शुरू हुई है और तब से लेकर अब तक पहली बार जीडीपी में निगेटिव ग्रोथ देखने को मिली है।

जीडीपी ग्रोथ में इस कमी के लिए सरकार भले ही तालाबंदी को जिम्मेदार बता रही है, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है। कोरोना आने से पहले से ही अर्थव्यवस्था हिचकोले खा रही थी। कोरोना से पहले ही पांच साल में देश की जीडीपी 50 फीसदी कम हो गई थी। यह 8 से 4.2 पर आ गया था। रही सही कसर कोरोना महामारी ने पूरी कर दी।

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कोरोना संक्रमण रोकने के लिए तालाबंदी का सहारा लिया। तालाबंदी के दौरान सब कुछ बंद हो गया है। कंपनियों से लेकर दुकानों और यातायात तक सब कुछ बंद होने से अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान झेलना पड़ा। तालाबंदी की वजह से लाखों लोगों की नौकरियां चली गई और जिनकी बचीं रही उनमें से भी बहुत से लोगों की सैलरी कटने लगी। इन सब की वजह से अप्रैल-जून के दौरान जीडीपी निगेटिव हो गई और 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

कृषि क्षेत्र ही बचा सुरक्षित

इस बार सिर्फ कृषि क्षेत्र ही सुरक्षित बचा है, बाकी सब में नुकसान हुआ है। अच्छी बारिश के चलते कृषि क्षेत्र में अप्रैल-जून में 3.4 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है, जो पिछले साल 2019-20 में 3 फीसदी थी।

नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस यानी एनएसओ की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 2020-21 की पहली तिमाही अप्रैल-जून में जीडीपी में 23.9 फीसदी कि रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है। इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी में 3.1 फीसदी की बढ़त देखने को मिली थी।

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किस क्षेत्र में कितनी गिरावट?

अगर कृषि क्षेत्र को छोड़ दें तो बाकी हर क्षेत्र में गिरावट देखी गई है। निर्माण कार्यों यानी कंस्ट्रक्शन में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है, वहीं मैन्युफैक्चरिंग में भी पहली ही तिमाही में 39 फीसदी और ट्रेड में 47 पर्सेंट की गिरावट देखने को मिली है। इसके अलावा उपभोग और निजी सेक्टर के निवेश में भी भारी कमी के चलते अर्थव्यवस्था पस्त हुई है।

ऐसे में माना जा रहा है कि दूसरी तिमाही में भी ग्रोथ निगेटिव ही रहेगी। हालांकि, सरकार लगातार इकनॉमिक एक्टिविटी शुरू कर-कर के स्थिति को सुधारने की कोशिश में जुटी है।

पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सुस्ती को ‘ऐक्ट ऑफ गॉड’  बताते हुए कोरोना को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि यह पूरा सच नहीं है और बीते करीब 5 सालों से लगातार अर्थव्यवस्था गिरावट झेल रही थी। वित्त वर्ष 2019-20 की ही बात करें तो अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 5.2 पर्सेंट थी और फिर कम होते हुए चौथी तिमाही में 3.1 पर्सेंट ही रह गई। 2015-16 से अब तक के आंकड़ों की बात करें तो यह गिरावट लगातार जारी है।

टॉप 20 अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा लुढ़का भारत

अब तक ब्रिटेन 21.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ टॉप 20 अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का शिकार होने वाला पहला देश था, लेकिन अब भारत ने उसे पछाड़ते हुए सबसे पहले नंबर पर आने का अनचाहा रिकॉर्ड बना लिया है। इसके अलावा स्पेन भी 22.1 पर्सेंट की गिरावट के साथ अब दूसरे नंबर पर है, जबकि ब्रिटेन तीसरे पर आ गया है।

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