न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। दुनियाभर में हजारों लोगों की जान लेने वाला कोरोना वायरस देश में भी तेजी से पैर पसारने लगा है। भारत में संक्रमितों की संख्या 230 के पार हो गई है और इससे चार लोगों की मौत हो गई है।
कोरोना वायरस की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार ने लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से जाने पर मना किया है क्योंकि यह वायरस मैन टू मैन है यानि कि एक शख्स से दूसरे तक आसानी से पहुंच सकता है। सरकार बार- बार कहती आ रही है कि एक- दूसरे से दूरी बनाकर बात करें, हाथ न मिलाएं और हाथों को अच्छे से साफ करें।
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उत्तर प्रदेश के शिव नादर विश्वविद्यालय में सहायक प्रो नगा सुरेश वीरापु की माने तो कुछ वायरस शरीर में सालों तक सुरक्षित पड़े रह सकते हैं। जब तक शरीर के अंग उससे लड़ते रहते हैं इसका असर नहीं दिखता, लेकिन जैसे ही इस वायरस से लड़ने वाले अंग कमजोर पड़ने लगते हैं तो कोरोना वायरस के लक्षण दिखने लगते हैं और यह गंभीर स्टेज पर पहुंच जाता है।
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कोरोना वायरस के हवा में फैलने का सबसे सरल तरीका है संक्रमित मरीज का खांसना और छींकना। जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता या खंसता है तो उस दौरान वायरस पानी की बूंदों के साथ बाहर निकलता है, हालांकि यह बूंदें इतनी भारी होती हैं कि ज्यादा दूर तक हवा में तैर नहीं सकतीं, ऐसे में वे जल्दी ही नाक, मुंह, आंखों पर बैठ जाती हैं।ज्यादा से ज्यादा तीन फुट की दूरी तक जा सकती हैं, ऐसे में वह आस-पास के वस्तुओं पर जा बैठती/ गिरती हैं।
ऐसे में संक्रमित व्यक्ति जब दूसरे से हाथ मिलाता है या गले लगता है या फिर पास आकर बात करता है तो यह वायरस की बूंदें दूसरे शख्स तक पहुंच जाती हैं, इसलिए सरकार और डॉक्टर बार-बार कह रहे हैं कि खांसते और छींकते समय रूमाल या फिर अपनी कोहनी का इस्तेमाल करें और हाथों को पानी से साफ करें।
बार-बार अपने चेहरे को न छुएं ताकि आप संक्रमित न हो। साथ ही किसी से बात करते हुए एक फुट और संक्रमित मरीज से तीन फुट की दूरी बनाकर रखें। ऐसे लोग जिनमें कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन वे संक्रमित हैं, उनसे इस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगातार सर्विलांस करना और जांच करते रहना आवश्यक है।
एक रास्ता है जिसके जरिए ‘साइलेंट संक्रमण’ को पहचाना और रोका जा सकता है। कोविड-19 फेंफड़ों की एपिथिलियमी कोशिकाओं को संक्रमित करती है और प्रसार करती है, इसलिए इसका प्रसार ड्रॉपलेट (छींकते या खंसते वक्त निकलने वाली पानी की बूंदों) से हो सकता है।
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