जुबिली स्पेशल डेस्क
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांगे्रस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है लेकिन दोनों ही दल अपने बागी नेताओं से काफी परेशान है।
हालात तो ऐसे हैं कि इन नेताओं की वजह से दोनों ही दलों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। हाल में एक मीडिया रिपोट्र्स से पता चला है कि राजस्थान में बागियों की संख्या काफी ज्यादा है।
राजस्थान में कांग्रेस की तरफ से 22 जबकि बीजेपी के तरफ से 32 ऐसे लोग है जो सीधे तौर परेशानी खड़ी कर रहे हैं।इनमें से 54 बागी नेता चुनावी मैदान में दूसरी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी दंगल में उतर चुके हैं।
राजस्थान में कांग्रेस के बागी नेता
- खींवसर-दुर्ग सिंह चौहान
- बसेड़ी-खिलाड़ीलाल बैरवा
- राजगढ़-लक्ष्मणगढ़- जौहरीलाल मीणा
- जालौर- रामलाल मेघवाल
- छबड़ा-नरेश मीणा
- शिव-फ़तेह खान
- पुष्कर-श्रीगोपाल बाहेती
- शाहपुरा-आलोक बेनीवाल
- सिवाना-सुनील परिहार
- मनोहरथाना से कैलाश मीणा
- सरदारशहर-राजकरण चौधरी
- सवाईमाधोपुर-अजीजुद्दीन आज़ाद
- लूणकरसर-वीरेंद्र बेनीवाल
- केशोरायपाटन-राकेश बोयत
- महवा-रामनिवास गोयल
- चौरासी-महेंद्र बारजोड़
- मालपुरा-गोपाल गुर्जर
- सादुलशहर-ओम बिश्नोई
- डूंगरपुर-देवाराम रोत
- नागौर-हबीबुर्रहमान
- गंगानगर-करुणा चांडक
- ब्यावर-मनोज चौहान
राजस्थान में बीजेपी के बागी नेता
- डीडवाना-यूनुस खान
- चित्तौड़गढ़-चंद्रभान सिंह आक्या
- बाड़मेर-प्रियंका चौधरी
- शिव-रवींद्र भाटी
- सूरतगढ़-राजेंद्र भादू
- झुंझुनू-राजेंद्र भाम्बू
- मसूदा-जसवीर सिंह खरवा
- ब्यावर-इंद्रसिंह
- मकराना-हिम्मत सिंह राजपुरोहित
- लूणकरणसर-प्रभुदयाल सारस्वत
- लाडपुरा-भवानी सिंह राजावत
- कोटपूतली-मुकेश गोयल
- खंडेला-बंशीधर बाजिया
- सुजानगढ़-राजेंद्र नायक
- सीकर-ताराचंद धायल
- शाहपुरा-कैलाश मेघवाल
- सवाई माधोपुर-आशा मीणा
- संगरिया-गुलाब सिंवर
- सांचौर-जीवाराम चौधरी
- झोटवाड़ा-आशुसिंह सुरपुरा
- जालौर-पवनी मेघवाल
- बस्सी-जितेंद्र मीणा
- फ़तेहपुर-मधुसूदन भिंडा
- पिलानी-कैलाश मेघवाल
- डग-रामचंद्र सुनारीवाल
- बयाना-ऋतु बनावत
- भीलवाड़ा-अशोक कोठारी
- अजमेर उत्तर-ज्ञानचंद सारस्वत
- बूंदी-रूपेश शर्मा
- बूंदी-गिरिराज शर्मा
- जैतावण-योगी लक्ष्मण नाथ
- शिव-जालम सिंह रावलोत
साल 2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें, तो इस चुनाव में 13 निर्दलीय उम्मीदवार जीत कर आये थे. उन्हें कुल वोट का 9.47 प्रतिशत वोट मिले थे। उस चुनाव में सरकार बनाने से लेकर बचाने तक में निर्दलीय विधायकों की काफी अहम भूमिका रही है।
बता दें कि राजस्थान में अभी कांग्रेस की सरकार है और वो दोबारा सरकार बनाने का दावा कर रहे ही लेकिन बागी नेताओं ने गहलोत और राजस्थान कांग्रेस की नींद उड़ाकर रख दी है।