जुबिली न्यूज़ डेस्क
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में एक दिन का समय बचा हुआ है। जैसे-जैसे चुनाव नतीजों का समय नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे नेताओं और उनके समर्थकों के दिल की धड़कने तेज हो रही हैं। दिल्ली का चुनाव तो ख़त्म हो चुका है लेकिन राजनीति अभी भी चालू है। वजह है एग्जिट पोल के दावे और बीजेपी नेताओं के बयान।
दरअसल दिल्ली विधानसभा 2020 के 70 सीटों पर एग्जिट पोल के नतीजे बता रहे हैं कि, दिल्ली में एकबार फिर केजरीवाल सरकार की वापसी हो रही है। लेकिन दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी, सुनील यादव और कपिल मिश्रा जिस आत्मविश्वास से बीजेपी की जीत और एग्जिट पोल फेल होने की बात कह रहे हैं उसने माहौल को गरमा दिया है।
ऐसे में कई तरह के सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं कि क्या ईवीएम में कोई खेल हो रहा है या फिर एग्जिट पोल फेल हो सकता है। तो आइए जानते हैं कि एग्जिट पोल का इतिहास क्या है और कब-कब इनके दावे फेल हुए हैं।
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बता दें कि, एग्जिट पोल भारत में 1980 के मध्य में आया जब मीडिया ने चुनाव के सर्वे निकालने शुरु किए। इसके बाद दूरदर्शन ने पहली बार 1996 में एग्जिट पोल के नतीजे निकालने शुरू किया। इसके बाद 20 की दशक में एग्जिट पोल बाजार पर छा गए।
2014 के दिल्ली विधानसभा में एग्जिट पोल का दावा हुआ था फेल
2014 के दिल्ली विधानसभा में एग्जिट पोल का दावा फेल हो गया था। 2014 में एग्जिट पोल किसी पार्टी को बहुमत मिलते नहीं दिखा रहे थे। कुछ ने बीजेपी को बहुमत मिलने की संभावना जताई थी। लेकिन फाइनल रिजल्ट में कोई पार्टी 35 सीटों तक नहीं पहुंची, यानी किसी को बहुमत नहीं मिला। आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिली थीं जिसके बाद उसने कांग्रेस से गठबंधन करके 49 दिन तक सरकार चलाई थी।
हालांकि इंडिया टुडे-ओआरजी, एबीपी-नील्सन, चाणक्य पोल और टाइम्स नाउ-सी वोटर के एग्जिट पोल्स उस दौरान सही साबित हुए थे। इन्होंने आम आदमी पार्टी की 31 के आस पास सीटें आने का दावा किया था, वहीं कांग्रेस को 15 से 24 सीटें मिलने की बात कही थी। फाइनल रिजल्ट में आम आदमी पार्टी को 28 सीटें और कांग्रेस को केवल 8 सीटें मिलीं।
इसके बाद 2015 के चुनाव में एग्जिट पोल्स थोड़ा सा चूकते दिखाई दिए। हालांकि आम आदमी पार्टी को बहुमत मिलने की बात कही गई थी लेकिन उसे 67 सीटें मिलेंगी, इसकी उम्मीद किसी एग्जिट पोल में नहीं जताई गई थी। AAP को 35 से 45 सीटें मिलने की भविष्यवाणी इन एग्जिट पोल्स में की गई थी जो गलत साबित हुई।
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इन एग्जिट पोल्स में बीजेपी को 10 से ज्यादा सीटें मिलने का दावा किया जा रहा था। सी वोटर ने तो बीजेपी को 33 सीटें मिलने का दावा कर दिया था लेकिन फाइनल रिजल्ट में बीजेपी तीन सीटों पर सिमट गई और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला।
2014 लोकसभा चुनाव में एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित नहीं हुए
साथ ही 2014 के लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल के नजीजे भी सही साबित नहीं हुए थे। उस चुनाव में न्यूज 24 चाणक्य ने 340 सीटों पर बीजेपी के जीत का अनुमान लगाया था। जिसका अनुमान वास्तविक नतीजे के करीब था। उस चुनाव में बीजेपी ने 336 सीटें जीती थी। बाकी सारी एजेंसियों ने बीजेपी को 250 से 300 सीटों पर ही जीत का अनुमान लगाया था। जो गलत साबित हुआ था। वहीं कांग्रेस सरकार को सभी एजेंसियों ने 100 से ज्यादा सीटें जीतने का अनुमान लगाया था। जिसके आस-पास भी कांग्रेस को सीटें नहीं मिल पाई थी।
2009 एग्जिट पोल के नतीजे कितने सही
2009 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो सभी एजेंसियों ने अनुमान लगाया था कि कांग्रेस सरकार को 200 से कम सीटें मिलेंगी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने 262 सीटें जीतकर सबको गलत साबित कर दिया था। ठीक उसी तरह 2004 और 1998 के एग्जिट पोल के नतीजे भी सटीक नहीं हो पाए थे।
अब बीजेपी के नेता जो एग्जिट पोल्स के फेल होने की बात कर रहे हैं वह सही साबित होती है या नहीं, यह 11 फरवरी को साफ हो जाएगा।
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