जुबिली न्यूज़ डेस्क
देश आज अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है यह हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था जिसका निर्माण बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ने किया था। यूं तो यह पर्व पूरे देश में हर्षोउल्लास से मनाया जा रहा है लेकिन मौजूदा हालात भी बड़े नाजुक हैं।
आजादी के बाद से यह पहला अवसर है जब राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन चल रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन महंगाई और अन्य मुद्दों पर नहीं बल्कि ‘संविधान’ बचाने के नाम पर ही किए जा रहे हैं। केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लगातार आक्रामक रुख के साथ लिए गए फैसलों ने एक समुदाय को भयभीत कर दिया है।
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विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि, बीजेपी की सरकार संविधान बदलना चाहती है। ऐसे में हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने संविधान को समझाने के लिए एक अनोखा प्रयोग किया है।
सोचिए जिस संविधान को समझने के लिए कई वर्षों तक अध्ययन करना पड़ता हो उसे कुछ ही मिनट में 100 ग्राम के घर से समझा दिया जाए तो आप क्या कहेंगे ? शायद इस बात पर आप यकीन न करें लेकिन इस असम्भव को संभव बना रहे हैं दलित कार्यकर्ता मार्टिन मैकवान।
मार्टिन गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से करीब 40 किलोमीटर दूर नानी देवती गांव में अपने कुछ साथियों के सहयोग से ऐसे घरों का निर्माण कर रहे हैं। जिसमे संक्षेप में भारत का संविधान उपलब्ध है।
मार्टिन का कहना है कि, हर कोई नारा लगा रहा है कि संविधान बचाओ। लेकिन इस संविधान में क्या है जिसे बचाना है ? यह समझाने के लिए संविधान को घर का रूप दे दिया है। उनका दावा है कि, इस घर को दिखाकर किसी बच्चे को भी संविधान सिखाया जा सकता है।
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इस घर के एंट्री गेट में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सन्देश है जो भारत के संविधान की बुनियाद तैयार करता है। दीवारों पर सभी धर्मों के नागरिकों की तस्वीरें भी हैं और अधिकृत भाषाओं की लिस्ट भी टंगी है। घर की छत पर राष्ट्रगान के साथ गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर दिखते हैं साथ ही नागरिकों के मूल कर्तव्यों के बारे में भी बताया गया है। खिड़कियों पर मौलिक अधिकार से लेकर संविधान की तमाम धाराओं के बारे में जानकारी लिखी है।
इस घर के बाहर बाबा साहेब अंबेडकर के चित्र के साथ छपी वह टिप्पणी भी है जो संविधान सभा में दिए गए उनके आखिरी भाषण का हिस्सा है।
संविधान कितना भी अच्छा हो, लेकिन उसका अमल करने वाले लोग अच्छे नहीं होंगे तो संविधान खराब साबित होगा और संविधान कितना भी खराब होगा, लेकिन उसका अमल करने वाले लोग अच्छे होंगे तो संविधान अच्छा साबित होगा।
बता दें कि, इस घर की डिमांड बड़ी संख्या में है। जिसे देखते हुए इसे देश की 22 (अधिकृत) भाषाओं और कुछ आदिवासी बोलियों (डायलेक्ट) में भी तैयार किया जा रहा है। इस घर को देश के हर हिस्से में भेजा जाएगा।
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