सैय्यद मोहम्मद अब्बास
कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया मंदी की चपेट में है। भारत की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई। कोरोना का दायरा बढ़ता जा रहा है और सरकार के पास लॉकडाउन को आगे बढ़ाने के आलावा कोई चारा नहीं है। इस वजह से देश की अर्थव्यवस्था कमजोर होती जा रही है। इसको फिर से पटरी लाने के लिए सरकार कई योजना बना रही है लेकिन कोरोना काल में इतना आसान नजर नहीं आ रहा है।
देश के कई उद्योग-धंधे खत्म होने की कगार पर है। होटल और टूरिजम इंडस्ट्री को भी कोरोना ने तोडक़र रख दिया है। जानकारी के मुताबिक कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से होटल और टूरिजम इंडस्ट्री को 1.58 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात भी सामने आ रही है।
होटल और टूरिजम इंडस्ट्री देश को आर्थिक फायदा पहुंचाता है और कहा जाता है कि पूरे भारत में जितने भी लोग काम करने वाले हैं, उनका करीब 12.75 फीसदी हिस्सा होटल और टूरिजम इंडस्ट्री में लगा हुआ है। पर्यटन मंत्रालय की 2019-20 की रिपोर्ट की माने तो पर्यटन उद्योग ने 8 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को रोजगार मिल रहा है।
इनके रोजगार पर लटकी तलवार
अगर देखा जाये तो सरकार को पर्यटन से भी काफी मुनाफा होता है। पर्यटन के साथ-साथ इसमें टै्रवल, होटल और रेस्टोरेंट से भी सरकार को आर्थिक लाभ मिलता है। एक आंकड़े के अनुसार 70 लाख लोग रेस्टोरेंट से जुड़े हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से अभी रेस्टोरेंट बंद है और ऐसे में इनका रोजगार अधर में लटकता दिख रहा है। जनवरी के बाद फरवरी से देश भर के होटल करीब 65-70 फीसदी तक भरे हुए थे लेकिन कोरोना काल में सबकुछ चौपट हो गया है।
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यूपी होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अनुसार
यूपी होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ज्वाइंट सेक्रेटरी श्याम कृश्नानी ने बताया कि कोरोना ने इस कारोबार को भी निगल लिया है। उन्होंने कहा कि अगर राजधानी लखनऊ के होटलों की बात की जाये तो करोड़ो का नुकसान हो रहा है। उन्होंने बताया कि अप्रैल, मई व जून जैसे महीनों में होटल इंडस्ट्री के लिए अच्छा माना जाता है लेकिन इस बार सबकुछ चौपट हो गया है।
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शादी का सीजन भी हाथ निकल गया है। उन्होंने कहा कि लखनऊ में 40 से 50 होटल ऐसे है जो महीने में एक से तीन करोड़ रुपये आसानी से कमा लेते हैं लेकिन कोरोना के चलते बड़ा नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में ऐसे तो सभी को नुकसान पहुंचाया है लेकिन होटल और टूरिजम इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ा झटका है। उन्होंने बताया कि नया साल के शुरुआती महीनों में लोग घूमने के लिए विदेशी भारत आते थे, लेकिन अब बंदी की वजह से सब बर्बाद हो गया है।
कई फर्म ने भी इस सेक्टर को लेकर चेताया है
उधर फाइनेंशियल सर्विसेज और बिजनेस एडवाइडरी फर्म केपीएमजी की रिपोर्ट भी सामने आ रही है। इस फर्म ने एक अप्रैल को एक रिपोर्ट पेश की थी और बताया था कि अकेले टूरिजम और होटल इंडस्ट्री की करीब 70 फीसदी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। आंकड़ों में इनकी संख्या करीब 3 करोड़ 80 लाख तक जाने की बात कही जा रही है। इतना ही नहीं वल्र्ड ट्रेवल एंड टूरिजम काउंसिल ने इसी ओर इशारा किया है और कहा है कि ट्रेवल और टूरिजम सेक्टर में करीब 90 लाख नौकरियों पर संकट उत्पन्न हो गया है।
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इसके पीछे क्या है कारण
कोरोना काल में जहां एक ओर पूरी दुनिया थम गई है। इस वजह से कोई भी कोरोबार नहीं चल रहा है। विदेशी सैलानियों पर रोक है जबकि राष्टï्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा पर भी रोक लगी है। इतना ही नहीं कोरोना काल में बेरोजगारी भी चरम पर है। देश में 12.75 प्रतिशत लोग होटल और टूरिजम इंडस्ट्री जुड़े हैं।
इसके आलावा 5.56 फीसदी लोगों को सीधे इस इंडस्ट्री से रोजगार पा रहे हैं जबकि 7.19 फीसदी ऐसे हैं जो किसी और तरीके से इससे जुड़े हैं लेकिन कोरोना काल की वजह से सबकुछ बंद है। ऐसे में कहा जा सकता है इन लोगों के रोजगार अब खतरा मंडरा रहा है। बताया जा रहा है कि कोरोना काल में रेलवे और एयरलाइंस के बंद होने से भी इसको अच्छा-खासा नुकसान हुआ है।
अभी हाल में लेमन ट्री होटल के एमडी और चेयरमैन पतंजली जी केसवानी एक न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया था कि जैसे-जैसे कोरोना खतरनाक हुआ है वैसे ही होटलों की बुकिंग कैंसल होने लगी थी। लॉकडाउन के बाद तो स्थिति ऐसी हो गई है कि कई होटल अब बंद होने की कगार पर आ गए हैं। लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी उनके पास इतने पैसे नहीं होंगे कि वो होटल को चला सकेंगे।
किसको कितना नुकसान
कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना काल में बड़े होटलों को काफी बड़ा नुकसान होने वाला है। उन्होंने इसका आकलन भी कर डाला है और कहा है कि करीब 1.10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। इसके आलावा टूर ऑपरेटर्स को करीब 25,000 करोड़, एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स को करीब 19,000 करोड़ और क्रूज टूरिजम को करीब 419 करोड़ रुपये का नुकसान होना तय है। दूसरी ओर केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इंडस्ट्री को करीब पांच लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने की बात कही जा रही है।
कुल मिलाकर देखा जाये तो कोरोना काल में देश की आर्थिक स्थिती चौपट हो रही है। आलम तो यह है कि भारत दुनिया के 15 ऐसे देशों में शामिल हो गया है जहां पर कोरोना के चलते अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचा है। लाखों लोग अपना रोजग़ार खो चुके हैं। हालांकि सरकार अब भी इससे बाहर निकलने की योजना बना रही है। अब देखना होगा कि कोरोना काल से कैसे निकलाता भारत।