जुबिली न्यूज डेस्क
मेरठ की जाकिर कॉलोनी में तीन मंजिला मकान के भरभराकर गिरने का मंजर जितना खौफनाक था उससे कहीं ज्यादा मंजर 10 जनाजों के एक साथ उठने का था. महिलाओं के रोने और बिलखने की चीखे हर किसी को परेशान कर रही थी. ये चींखे भावुक ही नहीं, रोने के लिए मजबूर करने वाली थी. वक्त ने कुछ जख्म ही ऐसा दिया है. नफीसा उर्फ नफ्फो बीबी के परिवार को यूं किसी की नजर लग जाएगी किसी ने नहीं सोचा था. 10 जनाजे एक साथ निकले तो लोगों के होठ सिल गए थे. माहौल ऐसा था कि हर किसी को झंकझोर रहा था. कुछ अपने आंसू रोक पा रहे थे लेकिन वो भी दिल से रो रहे थे.
हजारों की भीड़ खामोश
मेरठ की जाकिर कॉलोनी से जब 10 लोगों के जनाजे लेकर लोग निकले तो हजारों लोगों का हुजूम था. गलियों में भीड़ का समंदर था. सड़कें खामोश थी लेकिन इस खामोशी के पीछे एक ऐसा दर्द था जो हर किसी के चेहरे पर नजर आ रहा था. सड़कों के साथ साथ हर घर की छत पर हुजूम था और महिलाओं के आंसू नहीं थम रहे थे. ये ऐसा मंजर था जो खुदा कभी फिर किसी को ना दिखाए. रास्ते जाम थे, नाम आंखों और खामोशी से कदम आगे बढ़ रहे थे.
मेरठ की जाकिर कॉलोनी में नफीसा उर्फ नफ्फो बीबी सहित उनके परिवार के 10 लोग इस दुनिया को अलविदा कहकर बहुत दूर चले गए, वो इतनी दूर चले गए कि जहां से कोई लौटकर नहीं आता. इस हादसे के बाद जाकिर कॉलोनी, हापुड रोड और इसके आसपास के बाजार दुख की इस घड़ी में बंद रहे. लोगों के चेहरे झुके हुए थे क्योंकि हर किसी की आंख से दर्द पानी बनकर बाहर निकल रहा था. हर गली में हजारों की भीड़ थी और ये भीड़ बढ़ती जा रही थी.