न्यूज डेस्क
दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक हांगकांग में पिछले करीब 10 हफ्तों से जारी लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन ने अब हिंसा का रूप ले लिया है। पहले प्रदर्शनकारियों ने संसद का घेराव किया और अब दुनिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट में शामिल हांगकांग हवाईअड्डे को भी जाम कर दिया है।
इस दौरान हजारों की संख्या में लोग चीन की सरकार के खिलाफ आक्रामक प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे चीनी प्रशासन हिल गया है। चीन के अत्याचारों के खिलाफ हांगकांग काफी लंबे समय से लड़ता आया है, लेकिन हाल ही में आए एक बिल की वजह से ये प्रदर्शन फिर तेज हुआ।
इस प्रदर्शन से चीन सरकार की दिक्कतें बढ़ी हुई हैं, चीन की सरकार की तरफ से हांगकांग प्रशासन से सख्त कार्रवाई करने को कहा है और शहर के बॉर्डर पर बख्तरबंद गाड़ियां तैनात कर दी हैं। इस प्रदर्शन की वजह से अभी तक 300 फ्लाइट रद्द करनी पड़ी हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा है कि उनकी इंटेलिजेंस रिपोर्ट है कि चीन हांगकांग बॉर्डर के पास सेना की तैनाती कर सकता है, ताकि प्रदर्शनकारियों पर एक्शन लिया जा सके।
दूसरी ओर भारत ने भी अपने नागरिकों के लिए एडवाइज़री जारी कर दी है। भारत की ओर से कहा गया है कि यात्री किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए दूसरे मार्ग को चुनें।
ऐसे में बड़ा सवाल ये सामने आ रहा है कि आखिर इस बिल में ऐसा क्या है जिसको लेकर इतने बड़े स्तर पर हिंसक आंदोलन हो रहा है। दरअसल, दक्षिण चीन के इस हिस्से में ये प्रदर्शन प्रत्यर्पण बिल आने के बाद तेज हुआ है, हांगकांग में बड़ी संख्या में लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
इस बिल के अनुसार, अगर कोई भी व्यक्ति चीन में अपराध करता है और बाद में हांगकांग आ जाता है, तो उसे पूछताछ के लिए वापस चीन ले जाया जा सकता है। हांगकांग साल 1997 में ब्रिटेन से चीन के कब्जे में आ गया था।
इससे पहले इस बिल में ये प्रावधान नहीं था, पहले ऐसा था कि अगर कोई अपराध करता है तो उसे किसी अन्य देश में प्रत्यर्पित करने की संधि नहीं थी। लेकिन बिल में संशोधन किया गया और कई देशों के साथ संधि की गई, जिनमें चीन, ताइवान, मकाऊ जैसे स्थान शामिल हैं।
बता दें कि करीब 150 साल तक ब्रिटिश उपनिवेश रहा हांगकांग 1997 में चीन का ‘विशेष प्रशासनिक क्षेत्र’ बन गया था। उस वक्त वैश्विक आर्थिक केंद्र बन चुके हांगकांग के लोगों को डर था कि बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी के संरक्षण में उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो सकता है।
पिछले कुछ सालों में कई मुद्दों को लेकर हांगकांग के लोग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे हैं, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (2003), अंब्रेला आंदोलन (2014), किताब विक्रेताओं पर निशाना (2015) शामिल रहे हैं। अब एक बार फिर प्रत्यर्पण बिल की वजह से ये गुस्सा फूट पड़ा।