जुबिली न्यूज डेस्क
इस्राएल की सुप्रीम कोर्ट ने सेरोगेसी कानून में बदलाव का आदेश दिया है। अदालत के इस फैसले के बाद से समलैंगिक जोड़ों के लिए इस्राएल में कोख किराये पर लेकर बच्चे पैदा करने का रास्ता खुल गया है।
रविवार को इस्राएल के सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया जिसके अनुसार समलैंगिक जोड़े देश के भीतर ही कोख किराये पर लेकर बच्चे पैदा कर सकते हैं।
अदालत के इस आदेश को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे समानता की दिशा में एक मजबूत कदम बताया है, जबकि आलोचकों ने इसे पारिवारिक मूल्यों पर हमला माना है।
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उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि समलैंगिक जोड़ों और बिना शादी के रह रहे पुरुषों पर सरोगेसी कानून में लगी रोक को छह महीने के भीतर हटाया जाना चाहिए।
अध्यक्ष एश्टर हायुत की मौजूदगी में यह फैसला आया है जो देश में एक दशक से भी ज्यादा समय से जारी बहस का नतीजा है।
समलैंगिक और एकल पुरुष बचे थे
मध्य पूर्व में इस्राएल एलजीबीटीक्यू प्लस लोगों के अधिकारों के मामले में सबसे आगे है। वहां समलैंगिक पुरुष संसद तक पहुंच चके हैं, लेकिन अब तक भी गोद किराये पर लेकर बच्चे पैदा करने के अधिकार से न सिर्फ समलैंगिक बल्कि अकेले रह रहे पुरुष भी वंचित थे।
इस्राएल में जो लोग सरोगेसी के जरिए बच्चे पैदा नहीं कर पा रहे थे, वे भारत, नेपाल, थाईलैंड और अमेरिका आदि देशों में विकल्प खोज रहे थे।
पूरी दुनिया में कोख को किराये पर लेकर बच्चे पैदा करने का चलन बढ़ा है। इसके तहत कोई महिला किसी अन्य व्यक्ति या जोड़े का बच्चा जन्मती है।
हालांकि इस्राएल में वर्ष 1996 में ही सरोगेसी को कानूनी वैधता मिल गई थी। पहले पुरुष और महिला के रूप में जोड़ों को और फिर अकेली महिलाओं को भी सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा करने का अधिकार दे दिया गया था।
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लेकिन बहस तब शुरू हुई जब 2010 में एक समलैंगिक पुरुष जोड़े ईताई और ईओव-पिकांस ने कोर्ट से इस अधिकार की अपील की। पहली कोशिश में अदालत से उन्हें निराशा हाथ लगी। साल 2015 में एक नई याचिका दर्ज की गई जिसे देश के अन्य एलजीबीटीक्यू लोगों का भी समर्थन मिला।
पिछले साल हुई शुरुआत
पिछले साल उच्चतम न्यायालय ने संसद को यह भेदभाव दूर करने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि समलैंगिक जोड़ों और अकेले पुरुषों को इस अधिकार से बाहर रखना असंवैधानिक है, लेकिन इस्राएल की संसद कनेसेट में लाए गए प्रस्ताव को कट्टरपंथी सांसदों ने रोक दिया।
इस साल मार्च में हुए चुनावों के बाद नई संसद तो बनी लेकिन कानून बनाने में कामयाबी नहीं मिल पाई।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए अपने फैसले में कहा, “हम मानवाधिकारों को पहुंच रही इस गंभीर हानि को और नहीं देख सकते, जो कि मौजूदा सरोगेसी प्रबंध का परिणाम है।”
समलैंगिक अधिकारों के लिए काम करने वाले ओज प्रवीन असोसिएशन ऑफ इस्राएली गे फादर्स के प्रमुख हैं। इस फैसले पर खुशी जताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें और उनके पार्टनर को भारत में जाकर सरोगेसी की मदद से बच्चे पैदा करने पड़े थे। उनकी जुड़वां बेटियां हैं।
वह कहते हैं कि अब अन्य जोड़े अपने ही देश में ऐसा कर पाएंगे। प्रवीन ने कहा, “यह बहुत आसान है और ज्यादा समझदारी भरा भी।”
इस फैसले का हो रहा विरोध
अदालत के इस फैसले पर विपक्षी रिलीजियस जियोनिजम पार्टी के अति दक्षिणपंथी सांसद बेजालेल समोतरिष ने कहा कि यह फैसला ‘यहूदी इस्राएल राज्य के चरमराने का संकेत है।’ एक अन्य अति रूढि़वादी विपक्षी दल युनाइटेड तोरा जूडाइजम के याकोव लिजमान ने कहा कि यहूदी लोगों का भविष्य खतरे में है।
उच्चतम न्यायालय का यह फैसला देश की नई सरकार में शामिल पार्टियों के बीच भी दरार पैदा कर सकता है। इस गठबंधन में कई वामपंथी और दक्षिणपंथी दल सरकार का हिस्सा हैं। इन दलों में मेरेत्स भी हैं, जिसके अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री निजान होरोवित्स समलैंगिक हैं। और इसी सरकार का हिस्सा इस्लामिक पार्टी राम भी है, जिसने समलैंगिकों को शैतानी कहा था।