लखनऊ। GST काउंसिल की बैठक में होम बायर्स को सस्ते घर की सौगात दे दी गई है। काउंसिल ने अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर GST रेट घटाकर 5 फीसदी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी दी है। हालांकि इस घटी हुई दर के साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा। अभी इस प्रॉपर्टी पर 12 फीसदी की दर से GST लगता है। इसके साथ ही अफोर्डेबल हाउसिंग पर भी बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट GST की दर घटाकर 1 फीसदी कर दी गई है, जो पहले 8 फीसदी थी।
इससे पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में GST काउंसिल की बैठक 20 फरवरी को हुई थी। उस बैठक में काउंसिल ने रियल एस्टेट पर GST की दर को लेकर फैसला टाल दिया था। कहा गया था कि अब इस बाबत फैसला 24 फरवरी की बैठक में लिया जाएगा। उस बैठक में काउंसिल ने 3B रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन दो दिन बढ़ा दी थी।
GST काउंसिल ने रियल एस्टेट सेक्टर के लिए मंत्रियों का समूह बनाया था। इसका अध्यक्ष गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल को बनाया गया था। इस समूह ने अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर GST रेट को घटाकर 5 फीसदी करने का पक्ष लिया। हालांकि ऐसा होने पर इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिलेगा। अभी इस प्रॉपर्टी पर 12 फीसदी की दर से GST लगता है। वहीं अभी ऐसे तैयार फ्लैट जहां कार्य पूरा होने का प्रमाण पत्र नहीं मिला है, उन पर भी 12 फीसदी GST वसूला जाता है।
अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए ये की जा रही थी उम्मीद
कयास थे कि किफायती घरों के प्रोजेक्ट में आने वाले अंडर कंस्ट्रक्शन मकान पर भी GST रेट घटाकर 3 फीसदी की जा सकती है। अभी अफोर्डेबल हाउसिंग पर 8 फीसदी GST लगता है।
गहन विचार-विमर्श के बाद लिया फैसला
बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि रियल एस्टेट पर GST घटाने का फैसला मंत्रियों के समूह और फिटमेंट कमेटी की बैठक के बाद लिया गया है। राज्यों और प्राइवेट डेवलपर्स से भी चर्चा की गई। आगे कहा कि अफोर्डेबल हाउसिंग पर GST रेट घटाकर 1 फीसदी किया जाना सस्ते घर उपलब्ध कराने की दिशा में बड़ा कदम होगा।
अफोर्डेबल हाउसिंग का क्राइटेरिया हुआ तय
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि अफोर्डेबल हाउसिंग किसे माना जाए यानी इसकी परिभाषा क्या हो, इसके लिए क्राइटेरिया तय कर दिया गया है। अफोर्डेबल हाउसिंग का क्राइटेरिया कार्पेट एरिया और कॉस्ट के आधार पर तय किया गया है। जेटली ने आगे बताया कि अब बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद आदि मेट्रो शहरों में अफोर्डेबल हाउसिंग उसे माना जाएगा, जिसका कार्पेट एरिया 60 वर्ग मीटर तक होगा और घर की लागत 45 लाख रुपये तक होगी।
वहीं नॉन-मेट्रो शहरों में क्राइटेरिया 90 वर्ग मीटर तक का कार्पेट एरिया और 45 लाख रुपये तक कॉस्ट होगी। यानी वहां इतने में 3 बीएचके घर तक बनाए जा सकते हैं. यह क्राइटेरिया 1 अप्रैल 2019 से लागू होगा।