फागुन के महीने में होली का उत्सव रंग और मिठाई से बहुत धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है। कई कवियों ने होली के रंगों पर, आपस में प्रेम भाव पर, इस खास रंगो के त्योहारों पर कुछ कविताएँ लिखी हैं। पढ़ें मशहूर कवि सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” की कविता…
आधुनिक साहित्य के शलाका पुरुष की रचनाएं
होली
होली है भाई होली है
मौज मस्ती की होली है
रंगो से भरा ये त्यौहार
बच्चो की टोली रंग लगाने आयी है
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है
एक दूसरे हो रंग लगाओ
मन की कड़वाहट को छोड़ो
सब मिल के खुशियां मनाओ
अपनी परंपरा कभी न छोड़ो
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है
होलिका दहन का मतलब समझो
हिरणकश्यप के दंभ को तोड़ो
भक्त प्रह्लाद को रखना याद
कभी न छोड़ना सच का साथ
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है…