न्यूज डेस्क
9 मार्च सोमवार आज फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तिथि है। हिंदू धर्म में इस तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। दरअसल यह वह तिथि है जिस दिन अधर्म का साथ देने वाली होलिका जली थी और धर्म के प्रतीक भक्त प्रह्लाद दहकती चिता से जीवित लौट आए थे।
युगों पहली हुई इस घटना को आज तक और जब तक यह दुनिया रहेगी तब तक होल आनंद और उत्साह से मनाते रहेंगे। लोग हर साल इस घटना को याद करके होलिका दहन करेंगे। इस बर भी यही सब होने वाला है। होलिका की चिता जलेगी और लोग आनंद मग्न होकर गायन-वादन करेंगे।
होलिका दहन को हिंदू धर्म में यज्ञ स्वरूप माना गया है जिसके लिए मुहूर्त का ध्यान भी रखा जाता है। ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा की रात भद्रा मुक्त समय में होलिका दहन करना अत्यंत शुभ होता है। इस बार अच्छी बात है कि होलिका दहन के दिन भद्रा का स्पर्श नहीं हो रहा है जिससे होलिका दहन प्रदोष काल में किया जाना बहुत ही शुभ रहेगा।
इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा का आरंभ 9 मार्च की सुबह 3 बजकर 4 मिनट से हुआ है जो रात 11 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। जबकि भदा दिन में 1 बजकर 12 मिनट पर समाप्त हो रहा है। ऐसे में प्रदोष काल से रात 11 बजकर 18 मिनट तक होलिका दहन पूजन करना शुभ रहेगा।
अलग-अलग शहरों में होलिका दहन का शुभ समय और मुहूर्त
दिल्ली 6 बजकर 22 मिनट से 7 बजकर 10 मिनट
मुंबई 6 बजकर 43 मिनट से 7 बजकर 31 मिनट तक
लखनऊ 6 बजकर 3 मिनट से 6 बजकर 51 मिनट तक
पटना 6 बजकर 1 मिनट से 6 बजकर 50 मिनट तक
भोपाल 6 बजकर 25 मिनट से 7 बजकर 12 मिनट तक
यह समय सबसे शुद्ध और शुभ रहेगा। इस समय तक शुभ चौघड़िया रहने से होलिका दहन आनंददायक है। वैसे पूर्णिमा तिथि 11 बजकर 18 मिनट तक होने से लोग इस समय तक भी होलिका दहन कर सकते हैं।