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Lok Sabha Election : जानें सलेमपुर लोकसभा सीट का इतिहास

पॉलिटिकल डेस्क

आजादी से पहले तक सलेमपुर सबसे बड़ा तहसील हुआ करता था। सलेमपुर उत्तर प्रदेश की सबसे पुरानी तहसील है। यह 1939 में ब्रिटिशराज में अस्तित्व में आया। इसका गठन देवरिया और बलिया जिले के कुछ हिस्सों को मिलाकर किया गया है।

सलेमपुर का इतिहास बहुत पुराना है। यह क्षेत्र मुस्लिम आक्रमणकारियों के आने से पहले गुप्त वंश और पाल शासकों के अधीन रहा था। घने जंगलों के कारण मुस्लिम आक्रमणकारी इस क्षेत्र में आक्रमण के लिए नहीं आ सके थे। सलेमपुर के पास से छोटी गंडक नदी गुजरती है।

सलीम के द्वारा बसाया गया यह शहर हमेशा से ही धर्म और राजनीति दोनों की दृष्टि के महत्वपूर्ण रहा है। दीर्घेश्वरनाथ महादेव यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जिसकी स्थापना अश्वत्थामा के द्वारा हुआ था। अपनी मणि अर्जुन को देने के बाद अश्वत्थामा देवारण्य को निकल पड़े थे। प्राचीन देवारण्य ही आज ही देवरिया कहलाता है। सोहनाग का परशुराम धाम भी एक अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

आबादी/ शिक्षा

इस लोकसभा क्षेत्र में बलिया जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र बांसडीह, सिकंदरपुर, बेल्थरारोड और देवरिया जिले का सलेमपुर तथा भाटपार रानी विधानसभा क्षेत्र आता है। 2011 की जनगणना के मुताबिक सलेमपुर तहसील की आबादी 6,04,483 लाख है जिनमें पुरुषों की आबादी 2,98,212 और महिलाओं की संख्या 3,06,271 लाख है। यहां कुल 91,896 परिवार रहते है । यहां की आबादी का 15.7 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित जाति और 4.2 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखता है।


यूपी के लिंगानुपात 912 के मुकाबले यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 1,027 महिलायें हैं। औसत साक्षरता दर की बात करे यह 73.43 प्रतिशत है जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 72.31 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 53.62 प्रतिशत है।

सलेमपुर मुख्य रूप से हिन्दू बाहुल्य इलाका है। यहां की आबादी का 86.16 प्रतिशत लोग हिन्दू और 13.5 प्रतिशत लोग मुस्लिम धर्म में आस्था रखते है। यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1,661,737 है जिसमें महिला मतदाता 756,980 और पुरुष मतदाता 904,632 है।

राजनीतिक घटनाक्रम

सलेमपुर में 1952 में हुए पहले आम चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विश्वनाथ रॉय ने जीत हासिल की और यहां के पहले सांसद बने । 1971 तक कांग्रेस ने लगातर पांच बार सलेमपुर की सीट पर कब्जा किया।

1977 में भारतीय लोकदल के राम नरेश कुशवाहा ने कांग्रेस का विजय रथ रोका और यहां से पहले गैर-कांग्रेसी सांसद बने। राम नगीना मिश्र 1980 में कांग्रेस(आई) और 1984 में कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुए।

1989 और 1991 में जनता दल के हरिकेवल प्रसाद यहां दो बार विजयी हुए। 1996 में समाजवादी पार्टी के हरिवंश सहाय ने जनता दल की लगातार तीसरी जीत के सपनों पर पानी फेर दिया।

1998 में हुए चुनावों में हरी केवल प्रसाद ने समता पार्टी के टिकट पर जीत कर सपा से अपनी पिछली हार का बदला ले लिया। 1999 में बब्बन राजभर ने सलेमपुर में बहुजन समाज पार्टी को पहली बार जीत दिलाई लेकिन 2004 में सपा ने इस सीट को अपने झोली में डालने में कामयाब रही।

2009 लोकसभा चुनाव में बसपा ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमाया लेकिन 2014 में इस सीट को बचाने में कामयाब नहीं हो पायी । इस सीट पर बीजेपी के रविन्द्र कुशवाहा विजयी हुए। कुशवाहा जून 2017 में अपने बयान की वजह से सुर्खियों में थे जब इन्होंने कहा था की भारत सदियों से हिन्दू राष्ट्र ही है।

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