पॉलिटिकल डेस्क
यमुना नदी के किराने बसा कौशांबी एक जिला है। कौशाम्बी जिला 4 अप्रैल 1997 को अस्तित्व में आया। इसका प्रशासनिक मुख्यालय मंझनपुर है जो इलाहबाद से 55 किलोमीटर की दूरी पर है।
पुराणों के अनुसार महाभारात काल में हस्तिनापुर नरेश निचक्षु, जो युधिष्ठिर की सातवीं पीढ़ी और राजा परीक्षित के वंशज थे, हस्तिनापुर गंगा के द्वारा बहा दिए जाने पर कौशाम्बी को वत्स देश की राजधानी बनाई थी। जैन और बौद्ध ग्रंथों में भी इस जगह का उल्लेख मिलता है। मान्यता है की भगवान बुद्ध छठें और नौवें वर्ष में यहां घूमने आएं थे।
कौशाम्बी दक्षिण में चित्रकूट, उत्तर में प्रतापगढ़, पूर्व में इलाहाबाद और पश्चिम में फतेहपुर से घिरा हुआ है। यह जिला इलाहाबाद मंडल का हिस्सा है। इलाहाबाद के दक्षिण- पश्चिम में 63 किमी की दूसरी पर स्थित कौशांबी को पहले कौशाम्ब नाम से भी जाना जाता था। यह जगह ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।
आबादी/ शिक्षा
कौशांबी लोकसभा में उत्तर प्रदेश की पांच विधानसभा सीटें आती है जिनमें बाबागंज, मंझनपुर, कुंदा, चैल और सिराथू शामिल है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की 1,599,596 है, जिनमें पुरुषों की आबादी 838,485 और महिलाओं की आबादी 761,111 है।
कौशाम्बी में प्रति 1000 पुरुषों पर 908 महिलायें है। यहां की औसत साक्षरता दर 61.28 प्रतिशत है जिनमें महिलाओं की साक्षरता दर 48.56 प्रतिशत और पुरुषों की साक्षरता दर 72.78 प्रतिशत है। यहा मतदाताओं की कुल संख्या 1,738,509 है जिसमें महिला मतदाता 783,372 और पुरुष मतदाता की संख्या 954,848 है।
राजनीतिक घटनाक्रम
कौशांबी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 50वें नंबर की सीट है। यह निर्वाचन क्षेत्र 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया। यह सीट शुरुआत से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
2009 में यहां पहली बार आम चुनाव हुए जिसमें समाजवादी पार्टी के शैलेन्द्र कुमार बहुजन समाज पार्टी के गिरीश चंद्र पासी को हराकर यहां के पहले सांसद बने। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां जीत का परचम फहराया। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के विनोद कुमार सोनकर यहां के सांसद है।