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Lok Sabha Election : जानें कैराना लोकसभा सीट का इतिहास

पॉलिटिकल डेस्क

उत्तर प्रदेश लोकसभा क्षेत्रों में कैराना लोकसभा का दूसरा क्षेत्र है, जो 1962 के लोकसभा चुनाव से पहले बना था। कैराना शामली जिले में स्थित नगर निगम बोर्ड है। कैराना जो कि अब सहारनपुर डिवीजन के शामली जिले में है, वह पहले मुजफ्फरनगर की एक तहसील थी। यह यमुना नदी के किनारे, पानीपत से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

कैराना घराना भारतीय शास्त्रीय संगीत और गायन की हिन्दुस्तानी ख्याली गायकी से सम्बद्ध हिन्दुस्तानी घरानों में से एक है। यह बीसवीं सदी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण भारतीय संगीतज्ञ उस्ताद अब्दुल करीम खां की जन्मस्थली भी है।

इन्हें कैराना घराने का संस्थापक भी मना जाता है। इनका मैसूर दरबार से गहरा सम्बन्ध था। उत्तर प्रदेश राज्य का राजमार्ग-12, कैराना को अन्य शहरों से जोड़ता है।

आबादी/ शिक्षा

कैराना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत 4 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिसमें गंगोह, कैराना, थाना भवन और शामिली शामिल है।
2011 की जनगणना के अनुसार, कैराना की कुल आबादी 73,046 है। इनमें 53 प्रतिशत पुरुष और 47 प्रतिशत महिलाएं हैं। यहां का लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 850 महिलाएं हैं। यहां मुस्लिमों की आबादी 70 प्रतिशत है।

कैराना की साक्षरता दर बहुत ही कम, लगभग 22 प्रतिशत है, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 36 प्रतिशत और महिला साक्षरता दर 22 प्रतिशत है। कैराना की कुल आबादी 1,531,767 है जिसमें महिला मतदाता 691,073 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 840,629 है।

राजनीतिक घटनाक्रम

कैराना क्षेत्र में पहला चुनाव 1962 में हुआ और वहां निर्दलीय राजनीतिज्ञ यशपाल सिंह पहले सांसद बने। इनके बाद 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के घयूर अली खान कैराना के सांसद बने। 1971 में पहली बार कांग्रेस कैराना में आई और शाफ्कुंत जुंग यहां से सांसद बने।

1977 में जनता पार्टी के चन्दन सिंह कैराना से विजयी हुए और यहां के सांसद बने।1980 में फिर जनता पार्टी जीती और गायत्री देवी ने यहां सांसद का पद संभाला। 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में फिर कांग्रेस ने बाजी मारी और कांग्रेस के अख्तर हुसैन सांसद बने।

इसके बाद 1989 और 1991 में लगातार 2 बार जनता दल के हरपाल सिंह पंवार सांसद बनें। 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के मुनव्वर हसन विजयी हुए । 1998 में भारतीय जनता पार्टी ने कैराना में अपना खाता खोला। वीरेंदर वर्मा यहां ये सांसद चुने गए। वीरेंदर वर्मा पंजाब और हिमाचल प्रदेश के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक भी रह चुके हैं।

1999 और 2004 लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल ने इस सीट पर कब्जा जमाया। आमिर आलम और अनुराधा चौधरी यहां से सांसद चुनी गई। अनुराधा चौधरी 2012 में राष्ट्रीय लोक दल छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थामा लेकिन 2015 में उन्होंने सपा को
भी अलविदा किया और भाजपा के साथ हाथ मिला लिया।

2009 लोकसभा चुनाव में यह सीट राष्ट्रीय लोकदल के हाथ से निकल गई और बहुजन समाज पार्टी के टिकट से पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की पत्नी तबस्सुम हसन कैराना की सांसद बनी लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के हुकुम सिंह यहां से सांसद चुने गए।

8 फरवरी 2018 को हुकुम सिंह की मौत के बाद 2018 में ही हुए उपचुनाव में बड़ी राजनीतिक फेरबदल के तहत राष्ट्रीय लोक दल की तबस्सुम हसन भारतीय जनता पार्टी की मृगांका सिंह को हराकर कैराना की सांसद बनी।

तबस्सुम को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन का समर्थन प्राप्त था। राष्ट्रीय लोकदल की तबस्सुम हसन की सांसद हैं।

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