पॉलिटिकल डेस्क
फतेहपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 49वें नंबर की लोकसभा सीट है । इसके अन्दर पूरा फतेहपुर जिला आता है। फतेहपुर जिला इलाहबाद मंडल का हिस्सा है, जिसका प्रशासनिक मुख्यालय फतेहपुर शहर है।
फतेहपुर गंगा और यमुना के तट पर बसा है। इसके कई जगहों का वर्णन पुराणों में भी मिलता है। फतेहपुर का असोथर ‘अश्वत्थामा की नगरी’ और भिटौरा ‘महर्षि भृगु की तपो भूमि’ के रूप में विख्यात है।
इस जिले में कई दर्शनीय स्थल है। बावनी इमली इनमें से एक है। यह स्मारक पहले स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों द्वारा दिए गए सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक है। स्थानीय लोगों के मुताबिक 28 अप्रैल 1858 को ब्रिटिश आर्मी ने बावन स्वतंत्रता सेनानियों को इस इमली के पेड़ से लटका कर फांसी दे दी थी तब से इस पेड़ को बावनी इमली कहा जाने लगा।
आबादी/ शिक्षा
फतेहपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की छह विधानसभा सीटें आती है जिसमें जहानाबाद, अयाह शाह, बिन्दकी, हुसैनगंज, फतेहपुर और खागा शामिल है। खागा की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
2011 की जनगणना के अनुसार फतेहपुर की आबादी 2,632,733 है जिनमें से महिलाओं की जनसंख्या 1,248,011, जबकि पुरुषों की जनसंख्या 1,384,722 है। यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 901 महिलायें है।
जिले की औसत साक्षरता दर 67.43 प्रतिशत है, जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 77.19 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 56.58 प्रतिशत है। फतेहपुर मूल रूप से हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र है। यहां की आबादी का 86.40 प्रतिशत हिस्सा हिन्दू और 13.32 प्रतिशत हिस्सा मुस्लिम धर्म को मानता है। यहां मतदाताओं की कुल संख्या 1,804,753 है जिसमें महिला मतदाता 818,821 और पुरुष मतदाता की संख्या 985,898 है।
राजनीतिक घटनाक्रम
अस्तित्व में आने की बाद से ही फतेहपुर की लोकसभा की सीट सामान्य श्रेणी की सीट रही है। 1957 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुए। पहले चुनाव के समय फतेहपुर की सीट उत्तर प्रदेश की 35वीं लोकसभा सीट हुआ करती थी।
पहला आम चुनाव कांग्रेस के अंसार हर्वानी जीतकर फतेहपुर के पहले सांसद बने। 1962 में आई एन डी ने फतेहपुर में जीत दर्ज की। 1967 और 1971 के चुनाव में कांग्रेस का परचम लहराया।
1977 में तीसरी जीत की उम्मीद लगाये बैठी कांग्रेस की उम्मीदों पर भारतीय लोकदल के बशीर अहमद ने पानी फेर दिया। अगले ही साल 1978 में उप चुनाव हुए जिसमें जनता पार्टी के एस.एल.हुसैन ने जीत दर्ज की।
1989 और 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह इस सीट से जीतकर सांसद बने। 1996 में बसपा ने इस सीट पर कब्जा किया लेकिन 1998 और 1999 के चुनावों में बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की।
2004 लोकसभा चुनाव में बीजेपी इस सीट को बचाने में कामयाब नहीं हुई और बसपा ने इस सीट पर कब्जा जमाया लेकिन 2009 में हुए आम चुनाव में यह सीट बसपा के हाथ से निकल गई और यह सपा की झोली में आ गई। 2014 चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की साध्वी निरंजना ज्योति ने इस सीट पर कब्जा जमाया।