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दिल्ली विधानसभा चुनाव : चांदनी चौक सीट का इतिहास क्या कहता है ?

जुबिली न्यूज़ डेस्क

दिल्ली की VVIP सीटों में चांदनी चौक का नाम शामिल है। चांदनी चौक मार्केट देश का प्रमुख कारोबारी हब होने के कारण व्यापार और सत्ता दोनों के लिए महत्वपूर्ण रहा है।

2015 में हुए विधानसभा चुनाव में चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र में 1,13,777 वोटर्स थे जिसमें 62 हजार 719 पुरुष और 51 हजार 052 महिला वोटर्स शामिल थे। जबकि 6 मतदाता थर्ड जेंडर के थे।

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यदि इस सीट के प्रमुख मुद्दों की बात करें तो अवैध अतिक्रमण यहां सबसे बड़ा मुद्दा है। मार्केट वाला क्षेत्र होने के कारण इस क्षेत्र की सड़कों पर ट्रैफिक का दवाब बहुत ज्यादा है। जिससे जाम की समस्या से लोगों के लिए बड़़ी मुसीबत है। इसके अलावा खराब बुनियादी ढांचे जैसी नागरिक सुविधाओं, पानी की किल्लत और सीलिंग जैसी समस्याएं शामिल हैं।

1951 में इस सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव कराए गए। इस चुनाव में यहां से कांग्रेस के युद्धवीर सिंह ने जीत हासिल की। इस सीट को यदि कांग्रेस का अभेद्य किला कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा।

1990 के बाद से बीजेपी ने यहां लोकसभा में तो 5 बार लेकिन विधानसभा में केवल एक बार जीत हासिल की है। 1993 में पूर्ण विधानसभा का दर्जा पाने वाली दिल्ली विधानसभा में हुए पहले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के वासुदेव कैप्टन ने पहली जीत हासिल की थी। लेकिन यह जीत यहां से बीजेपी के लिए पहली और आखिरी जीत साबित हुई।

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वहीं साल 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस सीट से आम आदमी पार्टी की अलका लांबा ने जीत हासिल की थी। लेकिन मौजूदा समय में इस सीट पर समीकरण पूरी तरह से बदल चुके हैं। आम आदमी पार्टी से खटपट के कारण अलका लांबा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है।

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