पॉलिटिकल डेस्क।
बागपत, उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। जिले का मुख्यालय भी बागपत है। कालिंदी कॉलेज, बाबू कमता प्रसाद जैन महा विद्यालय, दिगम्बर जैन कॉलेज, जनता वैदिक कॉलेज यहां के प्रमुख कॉलेज हैं। लखनऊ से बागपत की दूरी 585.0 किलोमीटर और दिल्ली से इसकी दूरी 53.3 किलोमीटर है।
बागपत लोकसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा है। बागपत जिला बनने से पहले मेरठ जिले का एक तहसील हुआ करता था। इस शहर का नाम हिंदी शब्द बाघ से व्युत्पन्न हुआ है। बागापत से मेरठ की दूरी मात्र 52 किलोमीटर है। 1977 में इस क्षेत्र में स्थापना हुई थी। शहर यमुना नदी के तट पर स्थित है। पूरा महादेव मंदिर, श्री पारश्वनाथ दिंगबर जैन मंदिर, गुफा वाले बाबा का मंदिर, वाल्मीकि आश्रम, काली सिंह बाबा मंदिर और त्रीलोग तीरथ धाम यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
आबादी/ शिक्षा
बागपत लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें सिवालखास, छपरौली, बरौत, बाघपत और मोदीनगर शामिल हैं। बागपत 1,321 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बसा हुआ है। 2019 के अनुसार बागपत शहर की जनसंख्या करीब 36,000 है, जिसमें 53 प्रतिशत पुरुष और 47 प्रतिशत महिलाएं हैं। बागपत जिले की कुल जनसंख्या 13,00,000 है। बाघपत में प्रति 1000 पुरुषों में 858 महिलाएं हैं। यहां की साक्षरता दर 66 प्रतिशत है, जिनमें पुरूषों की साक्षरता दर 82 प्रतिशत और महिलाओं की 58 प्रतिशत हैं। वर्तमान में यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1,505,175 है जिनमें महिला मतदाता 654,413 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 850,681 है।
राजनीतिक घटनाक्रम
बागपत लोकसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई, पहले चुनाव में यहां जनसंघ और दूसरे चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की, लेकिन इमरजेंसी के बाद यहां 1977 में हुए चुनाव से ही क्षेत्र की राजनीति पूरी तरह से बदल गई। 1977, 1980 और 1984 में लगातार पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह यहां से चुनाव जीते। उनके बाद बेटे अजित सिंह 6 बार यहां से सांसद रहे। 1989, 1991, 1996, 1999, 2004 और 2009 में अजित सिंह बागपत से सांसद रहे। सिर्फ 1998 में हुए चुनाव में यहां हार का सामना करना पड़ा और 2014 में तो वह तीसरे नंबर पर ही पहुंच गए।