पॉलिटिकल डेस्क
अकबरपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 44वीं लोकसभा सीट है। अकबरपुर कानपुर देहात जिले का मुख्यालय है। यह क्षेत्र उद्योग की दृष्टि से काफी विकसित है। यहां की एक बड़ी आबादी कृषि से जुडी हुई है।
गंगा और यमुना के मध्य दोआब में बसे अकबरपुर सीट राजनीतिक रूप से एक दौर में कांग्रेस का मजबूत गढ़ हुआ करता था। 90 के दशक में कांग्रेस में नेहरू-गांधी परिवार के खिलाफ बगावत करने वाले अरुण नेहरू ने जनता दल से मैदान में उतरकर जीत हासिल की थी। बाद में ये इलाका बीजेपी के लिए काफी उपजाऊ साबित हुआ।
आबादी/ शिक्षा
अकबरपुर में उत्तर प्रदेश विधानसभा की पांच सीटें आती है जिनमें से अकबरपुर रानिया, बिठूर, कल्याणपुर, महाराजापुर और घाटमपुर(अ.जा.) शामिल है।
2011 की जनगणना के अनुसार अकबरपुर की आबादी 111,594 है, जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 57,560 और महिलाओं की आबादी 54,034 है।
अकबरपुर की साक्षरता दर 76.94 प्रतिशत है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 83.89 प्रतिशत, तो महिलाओं की साक्षरता दर 63.54 प्रतिशत है। अकबरपुर मुख्य रूप से हिन्दू बहुल क्षेत्र है।
राजनीतिक घटनाक्रम
अकबरपुर लोकसभा सीट पर 1962 में पहली बार चुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की। 1962 के आम चुनावों में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। 1967 के चुनावों में रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया ने इस सीट पर कब्जा किया। 1971 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया तो अगले चुनाव 1977 में भारतीय लोकदल ने जीत का परचम फहराया।
1980 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी ने जीत हासिल की तो अगले चुनाव 1984 में कांग्रेस ने जीत का परचम लहाराया। 1989 के चुनाव में एक बार जनता दल ने वापसी की। 1991 में इस सीट से बसपा ने जीत हासिल की। 1996 में इस सीट से बसपा सुप्रीमो मायावती चुनाव लड़ी और लगातार तीन चुनाव में विजयी रहीं।
2002 में हुए उपचुनावों में यह सीट सामान्य श्रेणी में आ गई। उपचुनावों में बसपा के त्रिभुवन दत्त ने सपा के मंजुलाल मांझी को हराया। 2004 में यह सीट फिर से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई और मायावती यहां से तीसरी बार निर्वाचित हुईं।
2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया तो 2014 में मोदी लहर में बीजेपी जीत का परचम फहराने में कामयाब रही।