वाराणसी. सभी प्रसंस्कृत और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों तथा पेय पर सबूत आधारित पोषण मानकों और उपभोक्ता अनुकूल चेतावनी लेबल को अपनाने के संघर्ष को जारी रखते हुए मानवाधिकार जन निगरानी समिति (पीवीसीएचआर) के संस्थापक व संयोजक डॉ लेनिन रघुवंशी ने राष्ट्रीय
मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों केस संख्या 4227/90/0/2021 में रेजोइंदर पत्र भेजकर भारतीय बच्चों के स्वस्थ भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए एक सरल, व्याख्यात्मक और अनिवार्य फ्रंट-ऑफ-पैक लेबल (एफओपीएल) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक के अनुरूप लागू करने की गुहार लगाई है.
जिससे पैकेट वाले खाने में मिली सामग्री की पूरी जानकारी सामने प्रिंट हो, पैकेट के पीछे नहीं की मांग की. मामले की गंभीरता को देखते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति के पेटीशन पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के फुल बेंच में इस मामले की सुनवाई शुरू की है. आयोग में दर्ज केस संख्या 4227/90/0/2021 में पहले सचिव, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण और बाद में सचिव उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और सीईओ, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण को 8 हफ्ते के अन्दर आयोग को अपेक्षित रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
विदित है कि माननीय आयोग का फुल बेंच अति महत्वपूर्ण मामले में हस्तक्षेप करती हैं. भारत लगभग 15 मिलियन मोटे बच्चों का घर है. यह चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी संख्या है.
औसतन 15% भारतीय बच्चे किसी न किसी रूप में मोटापे का सामना कर रहे हैं. दूसरी ओर, भारत में 45 मिलियन से अधिक बच्चे अविकसित या अल्प-विकास वाले हैं, जो दुनिया के कुल अविकसित बच्चों का तीसरा है.
भारत में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में से लगभग आधी का कारण अल्पपोषण है. भारत सरकार बच्चो और महिलाओ के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर विश्व स्वास्थ्य संघटन (WHO) के मानक के अनुसार FoPL नियामक का गठन करे इसके लिए मानवाधिकार जननिगरानी समिति के सदस्य लगातार सरकार के चुने हुए प्रतिनिधि, उद्योग संघ, डॉक्टर और राजनीतिज्ञ से मिलकर लगातार चर्चा और परिचर्च का आयोजन कर रही है. इस मुद्दे को व्यापक समर्थन भी मिल रहा है.