न्यूज डेस्क
दुनियाभर में फैली कोरोना वायरस महामारी के चलते सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें इतिहास में पहली बार शून्य से भी नीचे पहुंच गईं। अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) ने अब तक का सबसे बुरा दिन देखा। डब्ल्यूटीआई का वायदा भाव मई डिलीवरी के लिए कीमत शून्य से नीचे -37.63 डॉलर/बैरल पर बंद हुआ।
United States benchmark West Texas Intermediate (WTI) #Oil price closes at -$37.63/barrel: AFP news agency
— ANI (@ANI) April 20, 2020
हालांकि, मंगलवार को वायदा बाजार में अमेरिकी तेल के दाम सुधरे और वे सोमवार को शून्य डॉलर से भी नीचे गिरने के बाद शून्य से ऊपर आ गए। यॉर्क में कच्चे तेल की कीमत में इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) ने सोमवार को अब तक के इतिहास में अपना सबसे बुरा दिन देखा था।
सोमवार को डब्ल्यूटीआई में कच्चा तेल का भाव सोमवार को गिरकर 0 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे -$37.63 प्रति बैरल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। कारोबार की शुरुआत 18.27 डॉलर प्रति बैरल से हुई थी लेकिन यह ऐतिहासिक 1 डॉलर और उसके बाद जीरो और बाद में कम होकर निगेटिव में पहुंच गई। 1946 के बाद पहली बार इस तरह की गिरावट देखने को मिली है। बाजार के अंत में अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चा तेल का भाव सोमवार को गिर कर सोमवार को दो डॉलर प्रति बैरल के न्यूनतम स्तर पर आ गया।
अमेरिका में कच्चे तेल की कीमत बोतलबंद पानी से कम यानी लगभग 77 पैसे प्रति लीटर हो गई। अंतरराष्ट्रीय बजार में अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चे तेल का भाव गिरते-गिरते लगभग शून्य तक पहुंच गया, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हिंदुस्तान में तेल मुफ्त में मिलने लग जाएगा।
इसे ऐसे समझें साल की शुरुआत में कच्चा तेल 67 डॉलर प्रति बैरल यानी 30.08 रुपए प्रति लीटर था। वहीं 12 मार्च को जब भारत में कोरोना के मामले की शुरुआत हुई तो कच्चे तेल की कीमत 38 डॉलर प्रति बैरल यानी 17.79 रुपए प्रति लीटर हो गई। वहीं 1 अप्रैल को कच्चे तेल की कीमत गिरकर 23 डॉलर प्रति बैरल यानी प्रति लीटर 11 रुपए पर आ गई।
इसके बावजूद दिल्ली में 1 अप्रैल को पेट्रोल का बेस प्राइस 27 रुपए 96 पैसे तय किया गया। इसमें 22 रुपए 98 पैसे की एक्साइज ड्यूटी लगाई गई। 3 रुपए 55 पैसा डीलर का कमीशन जुड़ गया और फिर 14 रुपए 79 पैसे का वैट भी जोड़ दिया गया। अब एक लीटर पेट्रोल की कीमत 69 रुपए 28 पैसे हो गई। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल भले ही सस्ता हो जाए, लेकिन आपको पेट्रोल की कीमत ज्यादा ही चुकानी पड़ती है।
दरअसल, मई महीने में तेल का करार निगेटिव हो गया है। मतलब ये कि खरीदार तेल लेने से इनकार कर रहे हैं। खरीदार कह रहे हैं कि तेल की अभी जरूरत नहीं, बाद में लेंगे, अभी अपने पास रखो। वहीं, उत्पादन इतना हो गया है कि अब तेल रखने की जगह नहीं बची है। ये सबकुछ कोरोना की महामारी की वजह से हुआ है।
गाड़ियों का चलना लगभग बंद है। कामकाज और कारोबार बंद होने की वजह से तेल की खपत और उसकी मांग भी कमी आई है। कनाडा में तो तेल के कुछ उत्पादों की कीमत माइनस में चली गई है। सोमवार को जब बाजार खुला तो अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चे तेल का भाव 10.34 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया था जो 1986 के बाद इसका सबसे निचला स्तर था।