जुबिली न्यूज डेस्क
आज 13 जनवरी को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। रुपया 27 पैसे की गिरावट के साथ 86.40 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इससे पहले, डॉलर 86.12 पर खुला था, लेकिन दिन में रुपया कमजोर होकर इस रिकॉर्ड स्तर तक गिर गया। 10 जनवरी को यह 86.04 पर बंद हुआ था।
विशेषज्ञों का मानना है कि हाल ही में भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों द्वारा की जा रही भारी बिकवाली रुपये में गिरावट की प्रमुख वजह है। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव (जियो-पॉलिटिकल टेंशन) ने भी रुपये पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
निर्मल बंग इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि एक डॉलर के मुकाबले रुपये का औसत रेट वित्त वर्ष 2025-26 में 88 के लेवल तक गिर सकता है। यानी मौजूदा लेवल से रुपया 1.50 रुपये तक और भी कमजोर हो सकता है।
रुपये की गिरावट का सीधा असर भारत के आयात पर पड़ेगा, क्योंकि अब विदेशों से चीजें मंगवाना महंगा हो जाएगा। इसका असर आम जनता की जेब पर भी देखने को मिलेगा।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के हेड ऑफ ट्रेजरी और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनिल कुमार भंसाली ने कहा, “रुपया 86.40 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है क्योंकि RBI ने हस्तक्षेप किया है। इसके पीछे डॉलर में मजबूती, हाई अमेरिकी यील्ड और बढ़ता डॉलर इंडेक्स बड़ा कारण है।
19 दिसंबर 2024 को पहली बार एक डॉलर के मुकाबले रुपया 85 के नीचे जा लुढ़का था. और एक महीने से भी कम समय में भारतीय करेंसी में 1.60 रुपये तक की कमजोरी आ गई है. इंपोर्टर्स की ओर से डिमांड बढ़ने और शेयर बाजार में बिकवाली कर विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं इससे डॉलर मांग बढ़ी है जिससे रुपये में कमजोरी देखी जा रही है.
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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद से डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ है और सत्ता में आने के बाद डॉलर के और मजबूत होने की संभावना है. 20 जनवरी 2025 को ट्रंप का शपथ होना है और इसलिए रुपये में और कमजोरी के आने से फिलहाल इंकार नहीं किया जा सकता है.