न्यूज डेस्क
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बजट पेश किया। इस बार देश के गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी के शिक्षकों की नियुक्तिके लिए 50 करोड़ रुपये बजट में आवंटित किया हैं।
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नई योजना के तहत जहां 25 प्रतिशत से अधिक आबादी उर्दू बोलती है, वहां उर्दू शिक्षकों की भी नियुक्ति की जाएगी। इसके साथ ही आधुनिक भारतीय भाषी शिक्षक हिंदी भाषी राज्यों में तीसरी भाषा भी पढ़ाएंगे बकायदा वहां इसकी मांग हो।
गौरतलब है कि कई दशकों से त्रिभाषी फॉर्मूला केंद्र सरकार की नीति रही है लेकिन कई गैर हिंदी भाषी राज्यों में लंबे समय से इसका विरोध होता रहा है विशेष रूप से तमिलनाडु में। दूर जाने की जरूरत नहीं है। मई में ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा जारी होने के बाद यह मुद्दा एक बार फिर उछला था।
हालांकि, बाद में इसमें संशोधन किया गया और अंग्रेजी एवं अपनी मातृभाषा के अलावा तीसरी भाषा के रूप में किसी भी भारतीय भाषा को पढ़ाए जाने की मंजूरी देने का रास्ता साफ हुआ।
सरकार की यह योजना गैर हिंदी भाषी राज्यों में किसी अन्य भाषी शिक्षक के बजाए हिंदी शिक्षकों की नियुक्ति का समर्थन कर वास्तविक फॉर्मूले को ही लागू करती दिखाई दे रही है।
शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के लिए बजट नहीं
इस साल बजट में शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को मजबूत बनाने की योजना के लिए बजट आवंटित नहीं किया गया। इन संस्थानों के लिए पिछले साल 488 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
माध्यमिक स्कूलों में दाखिला लेने के लिए लड़कियों को प्रोत्साहित करने वाली योजना के लिए भी बजट में धनराशि घटा दी गई है। पिछले साल इसके लिए 256 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे बल्कि इस साल 100 करोड़ रुपये ही आवंटित किए गए हैं।
हालांकि, मिड-डे मील और समग्र शिक्षा के लिए बजट में राशि बढ़ाई गई है।
वित्त मंंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में उच्च शिक्षा में शोध और गुणवत्ता के लिए एनईपी के सुझावों पर ध्यान केंद्रित किया है।
उन्होंने अपने बजट भाषण में कहा कि भारत उच्च शिक्षा के लिए एक संभावित हब बन गया है। भारत के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में विदेशी छात्रों के दाखिलों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव पेश किया।