जुबिली न्यूज डेस्क
अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग ने सेबी के कारण बताओ नोटिस पर कहा है कि उनसे अदानी ग्रुप के स्टॉक को शॉर्ट करने के लिए अपने निवेशक के एक ऑफ शोर फंड स्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया और इस फंड स्ट्रक्चर को बनाने और इसकी देखरेख करने का काम कोटक महिंद्रा बैंक का था.
कोटेक मंहिंद्रा बैंक के संस्थापक उदय कोटक हैं. ये एक प्राइवेट बैंक और ब्रोकरेज फर्म है. हालांकि हिंडनबर्ग ने अपने निवेशक का नाम नहीं बताया.हिंडनबर्ग को सेबी ने अदानी ग्रुप पर उनकी रिपोर्ट को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया था. नोटिस को शॉर्ट सेलिंग कंपनी ने ‘बेतुका’ बताया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ अपने जवाब में हिंडनबर्ग ने लिखा भारत में सबसे शक्तिशाली लोगों की ओर से भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने तथा डराने का प्रयास है.
“क्या हिंडनबर्ग ने अदानी को नुक़सान पहुंचाने के लिए दर्जनों कंपनियों के साथ काम किया, जिससे करोड़ों डॉलर कमाए? नहीं…हमारे पास एक निवेशक पार्टनर थे और लागतों के बाद हम अदानी ‘शॉर्ट’ पर ‘ब्रेक-ईवन’ से ऊपर नहीं आ पाएं.” “आज तक अदानी (समूह) हमारी रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों का जवाब नहीं दे पाया है. इसके बजाय उन्होंने हर सवाल जो हमने उठाए उसे नजरअंदाज करते हुए मीडिया में हमारी रिपोर्ट का खंडन किया है.”
“सेबी ने हम पर अधिकार क्षेत्र का दावा करने के लिए खुद को उलझा लिया, लेकिन इसके नोटिस में स्पष्ट रूप से उस पार्टी का नाम नहीं बताया गया जिसका भारत से असल में संबंध है- कोटक बैंक, भारत के सबसे बड़े बैंकों और ब्रोकरेज फर्मों में से एक, जिसकी स्थापना उदय कोटक ने की थी, इस कंपनी ने हमारे निवेशक पार्टनर के लिए एक ऑफ शोर फंड स्ट्रक्चर बनाया और इसकी देखरेख का काम किया, इस स्ट्रक्चर का इस्तेमाल हमारे निवेशक पार्टनर ने अडानी के खिलाफ़ बेटिंग में किया. लेकिन सेबी ने कोटक का नाम नहीं लिया. उसने केवल के-इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड का नाम दिया और ‘कोटक’ नाम को ‘केएमआईएल’ के शॉर्टफॉर्म नाम से छिपा दिया.”
ये भी पढ़ें-भारतीय जनता पार्टी ने बहोरन लाल मौर्य को बनाया है प्रत्याशी
केएमआईएल का पूरा नाम है कोटक महिंद्रा इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड है.हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी के कोटक का नाम न लेने के पीछे शायद बिजनेसमैन को जांच दायरे से बचाना वजह हो सकती है. जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने अदानी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट छापी थी, जिसमें अदानी समूह पर अपने शेयरों के भाव में हेराफेरी और वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाया था. रिपोर्ट के बाद अदानी ग्रुप के शेयर तेज़ी से गिरे थे.