जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. पिथौरागढ़ के मिलम जौहार में अगस्त 2015 में ग्रामीणों की 2.49 हेक्टेयर ज़मीन अधिग्रहीत कर राज्य सरकार द्वारा बनवाई गई आईटीबीपी चौकी को नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार का सही कदम करार दिया है. सरकार के इस फैसले के खिलाफ भोटिया जनजाति के लोगों द्वारा दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
उत्तराखंड सरकार ने इस चौकी को बनाने से पहले ज़मीन अधिग्रहीत की थी और इस ज़मीन पर काबिज़ ग्रामीणों को मुआवजा भी दिया था. इस चौकी को बनाये जाने के खिलाफ हीरा सिंह पांगती व अन्य ने नैनीताल हाईकोर्ट में कहा कि वह ज़मीन भोटिया जनजाति के लिए सूचीबद्ध है. वह लोग इस ज़मीन पर 1880 से उस ज़मीन पर काबिज़ थे. सरकार ने ज़मीन का अधिग्रहण कर उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है. इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र की संप्रभुता सबसे ज्यादा श्रेष्ठ है. किसी व्यक्ति, जाति या समाज के बजाय राष्ट्र का हित देखा जाना ज्यादा जरूरी है.
इस याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि मिलम गाँव चीन सीमा पर नियंत्रण रेखा से 20-25 किलोमीटर फायरिंग रेंज पर है. सड़क से जुड़ा यह देश का अंतिम गाँव है. इस जगह पर सेना और अर्धसैनिक बलों की चौकी बनाना बहुत ज़रूरी था. ज़रूरत पड़ने पर यही चौकी युद्ध सामग्री पहुंचाने में मददगार बनेगी. इस चौकी का निर्माण देश की सुरक्षा के मद्देनज़र किया गया है. इसके निर्माण का फैसला करते समय किसी की जाति, उपजाति और आरक्षण के बारे में विचार ही नहीं किया गया. जस्टिस शरद शर्मा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए ग्रामीणों की याचिका खारिज कर दी.
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