जुबिली न्यूज डेस्क
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना है कि एक विवाहित महिला अपने पति के प्रति काफी पजेसिव (अंकुश रखने वाली) होती है। वह उसे किसी के साथ शेयर नहीं सकती है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ये टिप्पणी करते हुए निचली अदालत के आदेश के खिलाफ एक व्यक्ति सुशील कुमार की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उस व्यक्ति ने खुद को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप से बरी करने की मांग की थी।
दरअसल सुशील कुमार की पत्नी ने कथित तौर पर इस कारण से आत्महत्या कर ली थी कि उसके पति ने उसे तलाक दिए बगैर दूसरी महिला से शादी कर ली थी।
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जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने सुशील कुमार की रिवीजन याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कोई भी भारतीय महिला किसी भी कीमत पर अपने पति को साझा नहीं कर सकती है।
अदालत ने कहा कि किसी भी विवाहित महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसका पति किसी अन्य महिला के साथ साझा किया जा रहा है अथवा वह किसी अन्य महिला के साथ शादी करने जा रहा है। ऐसे हालात में उससे किसी तरह की समझदारी की उम्मीद नहीं की जा सकती। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ जब महिला को यह पता चला कि उसके पति ने अन्य महिला के साथ गुपचुप शादी कर ली तो उसने आत्महत्या कर ली।
क्या था मामला
आरोपी सुशील कुमार की पत्नी ने सितम्बर 2018 में सुशील और उसके परिवार के सभी सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 494, 504, 506, 379 के तहत FIR दर्ज कराई थी।
महिला ने सुशील पर आरोप लगाया था कि उसका पति पहले से ही किसी अन्य महिला के साथ शादीशुदा था। उस शादी से उसके दो बच्चे हैं।
इसके बाद उसने बिना तलाक दिए तीसरी शादी भी कर ली है। महिला ने आरोपी और उसके परिवार के सदस्यों पर मारपीट, दुव्र्यवहार और गाली-गलौच करने का भी आरोप लगाया था।
आरोपी सुशील कुमार ने जब उसे छोड़ दिया और एक नई महिला को अपने घर में रख लिया तो महिला ने FIR दर्ज करवाने का फैसला लिया और उसके तुरंत बाद जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली।
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वहीं हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी ने स्वीकार किया है कि उसने सितम्बर 2018 में तीसरी बार शादी की थी। अदालत ने माना कि महिला द्वारा आत्महत्या के फैसले के पीछे एकमात्र कारण पति का तीसरा विवाह ही है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने आरोपी की रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया।