जुबिली न्यूज डेस्क
एनजीओ कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटिबिलिटी एंड रिफॉर्म्स के संयोजक और वकील प्रशांत भूषण ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के बयान की जाँच के लिए CJI को चिट्ठी लिखी है. एनजीओ की ओर से लिखी चिट्ठी में प्रशांत भूषण ने सीजेआई से जस्टिस शेखर कुमार यादव के आचरण की ‘इन-हाउस इंक्वॉयरी’ करने की मांग की है.
ये मांग ऐसे समय हुई है जब जस्टिस यादव की विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक कार्यक्रम में दी हुई टिप्पणी पर विवाद हो रहा है. एनजीओ ने आरोप लगाया है कि जस्टिस यादव का बयान न्यायिक आचरण के ख़िलाफ़ है और ये संविधान के निष्पक्षता और धर्मनिरपेक्षता जैसे सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.
जस्टिस शेखर कुमार यादव इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज हैं. वो रविवार को विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस मौक़े पर उन्होंने यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) के मुद्दे पर कहा, “हिन्दुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक के अनुसार ही देश चलेगा.”
जस्टिस शेखर यादव का कहना था कि एक से ज़्यादा पत्नी रखने, तीन तलाक़ और हलाला के लिए कोई बहाना नहीं है और अब ये प्रथाएं नहीं चलेंगी. हालाँकि मीडिया से बातचीत में जस्टिस शेखर यादव ने कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर चलाया जा रहा है.