जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में पत्रकार शमीम अहमद की ज़मानत याचिका खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने कहा कि पत्रकार को एक्टर की तरह से व्यवहार नहीं करना चाहिए. उसकी ज़िम्मेदारी किसी भी घटना को बगैर तोड़-मरोड़ के लोगों तक पहुंचाना होता है.
मामला मकान मालिक और किरायेदार के बीच के विवाद का था. सुरेन्द्र चक्रवर्ती का अपने मकान मालिक जावेद खान से मकान खाली करने को लेकर विवाद चल रहा था. मामला कोर्ट में था. बात 19 अक्टूबर 2020 की है. जावेद ने सुरेन्द्र से कहा कि मकान खाली नहीं कर सकते हो तो आग लगाकर मर जाओ. उसी शाम पत्रकार शमीम अहमद और नौशाद सुरेन्द्र के घर गए और उससे कहा कि विधानसभा के सामने खुद को आग लगा लो तो बड़ी खबर बनेगी और मकान मालिक के ऊपर बड़ा दबाव बन जायेगा.
सुरेन्द्र को भी भरोसा था कि विधानसभा जैसे अति सुरक्षित जगह पर वह खुद को आग लगाएगा तो पुलिस उसे बचा ही लेगी. 20 अक्टूबर की शाम को सुरेन्द्र ने विधानसभा के सामने खुद को आग लगा ली और गंभीर रूप से झुलस गए. उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
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सुरेन्द्र की मौत के बाद पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और उसकी काल डीटेल खंगाली तो शमीम अहमद पुलिस की पकड़ में आ गए. सुरेन्द्र की पत्नी ने भी बताया कि शमीम के भड़काने पर ही उनके पति विधानसभा पर आत्मदाह के लिए गए थे. पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर शमीम को जेल भेज दिया. तब से वह जेल में ही हैं.