Saturday - 26 October 2024 - 5:30 PM

लिव- इन रिलेशनशिप को हाई कोर्ट ने बताया टाइमपास, जानिए ऐसा क्यों कहा

 जुबिली न्यूज डेस्क

उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अंतरधार्मिक लिव-इन जोड़े की ओर से पुलिस सुरक्षा की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे रिश्ते बिना किसी ईमानदारी के विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण की वजह से बनते हैं, जो अक्सर टाइमपास में बदल जाते हैं।

जस्टिस राहुल चतुर्वेदी और जस्टिस मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने फैसले में कहा कि कोर्ट यह उम्मीद नहीं कर सकता है कि दो महीने की अवधि में और वह भी 20-22 साल की उम्र में दोनों इस तरह के अस्थायी रिश्ते पर गंभीरता से विचार कर पाएंगे।

कोर्ट ने यह स्वीकार किया कि सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में लिव-इन रिलेशनशिप को वैध ठहराया है। साथ ही यह भी कहा कि इस तरह के रिश्ते में स्थिरता और ईमानदारी की तुलना में मोह अधिक है। जब तक जोड़े शादी करने का फैसला नहीं करते हैं और अपने रिश्ते को नाम नहीं देते हैं या एक-दूसरे के प्रति ईमानदार नहीं होते हैं, तब तक कोर्ट इस प्रकार के रिश्ते में कोई राय व्यक्त करने से कतराता और बचता है।

ऐसे रिश्ते बिना किसी ईमानदारी के विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण की वजह से बनते हैं, जो अक्सर टाइमपास में बदल जाते हैं। कोर्ट यह उम्मीद नहीं कर सकता है कि दो महीने की अवधि में और वह भी 20-22 साल की उम्र में दोनों इस तरह के अस्थायी रिश्ते पर गंभीरता से विचार कर पाएंगे।

ये भी पढ़ें-मौसम ने मारी पलटी…ठंड ने दी दस्तक, कोहरे की चादर से ढंकेगा दिल्ली

यह है मामला

याचिका मथुरा निवासी एक हिंदू युवती और एक मुस्लिम युवक की ओर से संयुक्त रूप से दायर की गई थी। याचिका में आईपीसी की धारा 366 के तहत युवक के खिलाफ (युवती की चाची द्वारा) 17 अगस्त, 2023 को दर्ज करवाई गई एफआईआर को चुनौती दी गई थी। याचिका में पुलिस से सुरक्षा की मांग भी की थी, क्योंकि जोड़े ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का फैसला किया है।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com