जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. अलग झारखंड राज्य बनाने के लिए बरसों आन्दोलन चलाने वालों को हेमंत सोरेन की सरकार नौकरी और पेंशन से सम्मानित करने जा रही है. 15 नवम्बर 2000 को नये राज्य के रूप में सामने आये झारखंड के लिए जिन लोगों ने अपनी जान की कुर्बानियां दीं उनके परिवार के लोगों को सरकार सम्मानित करेगी.
झारखंड बिहार से अलग होकर एक नया राज्य बना था. झारखंड के लिए लम्बे समय तक आन्दोलन चला. आन्दोलनकारियों को जेलों में बंद किया गया. कई आन्दोलनकारियों की आन्दोलन के दौरान जान भी चली गई.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस सम्बन्ध में एक आयोग का गठन कर दिया है. यह आयोग एक साल के भीतर लाभार्थियों को चिन्हित कर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप देगा.
सरकार ने तय किया है कि जिन लोगों ने झारखंड आन्दोलन में अपनी जान गंवा दी और ऐसे लोग जो आन्दोलन के दौरान पुलिस की फायरिंग में या फिर जेल में रहने के दौरान 40 फीसदी से ज्यादा विकलांग हो गए उनके आश्रितों यानि बेटा- अविवाहित बेटी, पत्नी, विधवा बहू, नाती या पोते को सरकार उनकी योग्यता के अनुसार तृतीय या चतुर्थ श्रेणी की नौकरी देगी.
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इसके साथ ही सरकार ने यह भी तय किया है कि छह महीने से ज्यादा जेल में बिताने वाले आन्दोलनकारियों को सरकार सात हज़ार रुपये महीने की पेंशन देगी. तीन महीने से ज्यादा और छह महीने से कम समय तक जेल में रहने वाले आन्दोलनकारियों को पांच हज़ार रुपये और तीन महीने से कम समय जेल में बिताने वालों को साढ़े तीन हज़ार रुपये पेंशन दी जायेगी.