जुबिली न्यूज डेस्क
हाथरस कांड में हर दिन नया मोड़ आ रहा है। यूपी पुलिस पर उठते सवालों के बीच सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की तो अब खबर है कि इस मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भी एंट्री होगी।
प्रवर्तन निदेशालय जातीय हिंसा भड़काने के मकसद से वेबसाइट बनाकर दुष्प्रचार किए जाने के संबंध में हाथरस पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर की जांच कर रहा है। वह इस संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज करने की तैयारी में है।
पुलिस की एफआईआर धारा 153 ए आदि के तहत है जो पीएमएलए के तहत अपराध है और इस अपराध को करने से एकत्र किए गए धन को ईडी जब्त कर सकता है। ऐसे मामलों में धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत सात साल की सजा का प्रावधान है।
प्रवर्तन निदेशालय विदेशी पूछताछ के माध्यम से डोमेन सर्वरों से भी धन एकत्र करने और उसके उपयोग के बारे में पूछेगा। वेबसाइट द्वारा एकत्रित धन के अंतिम लाभार्थियों की भी ईडी जांच करेगा।
सेवा प्रदाता से उस वेबसाइट के बारे में पूछताछ की जाएगी जिसने इस पृष्ठ को होस्ट किया है क्योंकि उसे अनिवार्य रूप से आईपी पता रिकॉर्ड होना चाहिए जहां से वेब पेज लॉन्च किया गया था।
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हाथरस कांड के बाद विरोध प्रदर्शन के लिए लोगों को उकसाने के मकसद से बनाई गईं वेबसाइट्स पुलिस के निशाने पर हैं। इसमें ‘जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम’ नाम से बनाई गई वेबसाइट की भूमिका तलाशने में कई एजेंसियां लगी हुई हैं।
इन्हीं वेबसाइट्स की भूमिका के कारण आधार पर पुलिस यह दावा कर रही है कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों की तर्ज पर हाथरस कांड के बहाने प्रदेश में जातीय हिंसा भड़काने की साजिश रची गई थी।
‘जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम’ के नाम से रातों रात बनाई गई वेबसाइट ने अधिक से अधिक संख्या में लोगों को इससे जोडऩे का अभियान चलाया।
14 सितंबर को हाथरस में दलित युवती के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया। पिछले मंगलवार को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में पीडि़ता की मौत हो गई और दूसरे दिन पुलिस ने जबरन आधी रात में उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
जबरन अंतिम संस्कार कराये जाने का विपक्षी दलों ने जमकर विरोध किया है। तबसे इस मामले ने तूल पकड़ लिया है और उत्तर प्रदेश की राजनीति दलितों के उत्पीड़न के मुद़दे पर केंद्रित हो गई है।
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योगी सरकार ने विरोध बढ़ता देख एसआईटी जांच बिठा दी। शुक्रवार की शाम चार बजे तीन सदस्यीय एसआईटी ने मामले में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। शुरुआती जांच में लापरवाही पाए जाने के बाद यूपी सरकार ने हाथरस पुलिस अधीक्षक, डीएमसपी, इलाके के इंस्पेक्टर सहित अन्य अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसके बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाथरस कांड में सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है।