जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। हाथरस गैंग रेप मर्डर केस लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। जहां एक ओर सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है तो दूसरी ओर पूरा मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाथरस की घटना पर सोमवार को सुनवाई शुरू कर दी है।
कोर्ट ने प्रशासन के रवैया पर भी नाराजगी जतायी और पूरे प्रकरण पर यूपी पुलिस के आला अफसरों को कड़ी फटकार लगायी है। सुनवाई के दौरान पीडि़त परिवार ने साफ तौर पर कहा कि उनकी बेटी का अंतिम संस्कार उनकी बगैर अनुमति के किया गया है।
कोर्ट ने इस दौरान बेहद सख्त लहजे में वहां पर मौजूद अधिकारियों से पूछा कि यह बेटी किसी रसूख वाले की होती है तो क्या इसी तरह से आधी रात को अंतिम संस्कार किया जाता।
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इतना ही नहीं कोर्ट यहीं नहीं रूकी आगे पूछा कि अगर आप में से किसी के परिवार की बेटी होती तो क्या आप ऐसा होने देते।
उधर कोर्ट में मौजूद परिवार ने कहा कि बेटी के अंतिम संस्कार के दौरान वहां पर परिवार को कोई सदस्य मौजूद नहीं था। परिवार के अनुसार सिर्फ कुछ गांव वालों को बुलाकर वहां पर गोबर के उपले रखवा कर अंतिम संस्कार कर दिया गया।
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इस दौरान परिवार ने अपनी सुरक्षा को लेकर भी खतरा जताया। 2 नवंबर को अगली सुनवाई होगी तब प्रशासन को पीड़ितों ने जो मुद्दे कोर्ट के सामने उठाए थे उन पर जवाब देना होगा। वहीं पीडि़तों को हलफनामा दायर कर बताना होगा, उन बातों को जो उन्होंने कोर्ट के सामने कहीं हैं।
पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने बताया कि परिवार ने मांग की है कि सीबीआई की रिपोर्ट को गोपनीय रखा जाए। हमारी दूसरी मांग थी कि मामला यूपी से बाहर ट्रांसफर किया जाए और तीसरी मांग यह है कि मामला जब तक पूरी तरह से खत्म नहीं होता तब तक परिवार को सुरक्षा प्रदान किया जाए।
The victim's family has demanded that reports of CBI be kept cofidential. We had also prayed that the case be transferred out of UP. The third demand is that the family be provided security until the case completely concludes: Seema Kushwaha, lawyer of #Hathras victim's family https://t.co/zh7SB1q16E pic.twitter.com/uDpUtJEiMR
— ANI UP (@ANINewsUP) October 12, 2020
गौरतलब है कि इस मसले को लेकर परशुराम सेना ने भी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर किया है, जिसपर अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होनी है।
आपको बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 1 अक्टूबर को घटना पर स्वत: संज्ञान लिया था. हाई कोर्ट के दखल के बाद योगी सरकार हरकत में आई और परिवार को सुरक्षा का पहरा दिया गया। परिवार की सुरक्षा में करीब 60 पुलिसवालों की तैनाती की गई और घर के आसपास सीसीटीवी कैमरों का घेरा लगाया गया. इसके साथ ही घर आने-जाने वाले हर शख्स पर कड़ी नजर रखी गई।