जुबिली न्यूज डेस्क
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स पर रविवार को पोस्ट किया था कि सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया गया है.इसके बाद से इस फ़ैसले को लेकर देश की राजनीति में काफ़ी चर्चाएं हो रही हैं. हालांकि केंद्र सरकार की ओर से अभी तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है.
विभिन्न दलों के नेता इस आदेश को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. आरएसएस ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है. आरएसएस ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर इस फै़सले का स्वागत किया है.आरएसएस ने अपने ट्वीट में लिखा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले 99 वर्षों से लगातार राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में लगा हुआ है.
आरएसएस ने लिखा है कि ‘तत्कालीन सरकार ने निराधार ही शासकीय कर्मियों के संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर रोक लगा दी थी. वर्तमान सरकार का फै़सला समुचित है और लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है.’
इस आदेश को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि, महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार पटेल और नेहरू की सरकार ने आरएसएस पर बैन लगाया था.
ओवैसी ने कहा कि आरएसएस से बैन इस शर्त पर हटाया गया था कि वे भारत के संविधान को मानेंगे और राष्ट्रीय झंडे को मानेंगे.उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को संघ की गतिविधियों में भाग लेने देने का फै़सला ग़लत है.उन्होंने कहा कि संघ का सदस्य भारत की विविधता को नहीं मानता है वो हिंदू राष्ट्र की कसम खाता है.
कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि यह नौकरशाही की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है.उन्होंने कहा कि एक कार्यरत सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनैतिक संगठन का भाग नहीं हो सकता है.उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार द्वारा किसी कारण से ही इस संस्था पर बैन लगाया गया था, सरकार को यह बताना चाहिए कि उन्होंने यह बैन क्यों हटाया है.
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कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने भी इस आदेश को लेकर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि यह बैन बहुत पुराना है, 1966 में लगाया था. उसके बाद जनसंघ की सरकार बनी उन्होंने नहीं हटाया, उसके बाद वाजपेयी की सरकार बनी उन्होंने भी नहीं हटाया. उन्होंने कहा है कि दस साल मोदी सरकार रही उन्होंने भी नहीं हटाया, अचानक क्या होगा, इसका जवाब सरकार को देना चाहिए.