जुबिली स्पेशल डेस्क
सुरैश रैना, आरपी सिंह न जाने कितने और खिलाड़ी लखनऊ के स्पोट्र्स कॉलेज से निकले लेकिन वहीं स्पोट्र्स कॉलेज अब भ्रष्टाचार का नया गढ़ बनता जा रहा है। कॉलेज में दाखिले के नाम पर लूट होती है तो कभी खिलाडिय़ों की आपसी तनातनी भी किसी से छुपी नहीं है।
वहीं आज कल वित्तीय अनियमितता का खेल भी खूब प्रकाश में आ रहा है। ताजा मामला है कि गुरु गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में प्रधानाचार्य रहते हुए वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में उप निदेशक एसएस मिश्रा सोमवार को निलंबित कर दिया गया है। उनके विरुद्ध अनुशासनिक जांच भी बिठा दी गई है। जांच अधिकारी वित्त विभाग के विशेष सचिव पंकज सक्सेना को बनाया गया है। निलंबन अवधि तक उन्हें खेल निदेशालय से संबद्ध किया गया है।
ये वही स्पोट्र्स कॉलेज है जहां पर अनुशासन का पाठ ऐसा पढ़ाया जाता था कि इसकी चर्चा प्रदेश के अन्य कॉलेजों में होती थी। यहां से निकलने वाली खिलाड़ी सीधे इंडिया को रिपेसेंंट करता था लेकिन वहीं स्पोट्र्स कॉलेज अब अपने खेल के लिए नहीं बल्कि भ्रष्टाचार वित्तीय अनियमितता और मारकाट के लिए ज्यादा याद किया जा रहा है।
दरअसल इसी स्पोट्र्स कॉलेज में एक जमाने में तूती बोलती थी। निमर्ल सिंह सहनी के दौर में स्पोट्र्स कॉलेज शायद अच्छे दौर देखे हैं। क्रिकेट से लेकर कुश्ती के खिलाड़ी यहां से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी धमक दिखाते थे। अगर देखा जाये तो निमर्ल सिंह सहनी का स्पोट्र्स कॉलेज अब पूरी तरह से बदल चुका है।
उनके बाद जितने लोग यहां पर आए उनके दामन में भ्रष्टाचार की बूंदे जरूर गिरी है। गुरु गोविन्द सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में पिछले 15 वर्षों से कोई स्थायी प्रधानाचार्य नहीं है। खेल विभाग के अधिकारियों को ही अतिरिक्त कार्यभार दिया जाता रहा है। शायद यही चीज स्पोर्ट्स कॉलेज को कमजोर कर रही है। अतिरिक्त कार्यभार के दौर में लगातार ही स्पोट्र्स कॉलेज के साथ खेल हो रहा है।
बीच में न्यायालय के आदेश पर विजय कुमार गुप्ता को प्रधानाचार्य बनाया गया था। उनके बर्खास्त होने के बाद जितेंद्र कुमार यादव और उसके बाद खेल विभाग के उप निदेशक एसएस मिश्रा को कार्यवाहक प्रधानाचार्य बनाया गया। विजय कुमार गुप्ता के राज में स्पोट्र्स कॉलेज में कई वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया।
दरअसल दो साल पहले गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य और इतिहास के अध्यापक विजय कुमार गुप्ता को बर्खास्त कर दिया गया था। विजय कुमार गुप्ता करीब 5.5 करोड़ रुपए घोटाले के लिए निलंबित किया गया था। गौरतलब है कि विजय ने फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर अध्यापक की नौकरी पाई थी इसके बाद वे न्यायालय के आदेश पर प्रधानाचार्य बने थे। उस वक्त के खेल मंत्री उपेंद्र तिवारी ने राज्य की तीनों स्पोर्ट्स कॉलेजों के 5 वर्ष के कार्यकलापों की जांच के आदेश दिए थे।
खेल मंत्री के कॉलेजों की जांच के आदेशानुसार खेल निदेशक डॉक्टर आरपी सिंह को जांच अधिकारी बनाया गया था। इस जांच में डॉ सिंह ने लखनऊ स्पोर्ट कॉलेज में तमाम वित्तीय अनियमितताएं पाई थी।
गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में अध्यापक विजय गुप्ता को सीनियर होने के चलते 18 अगस्त 2015 से 15 सितंबर 2019 तक प्रिंसिपल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था. प्रिंसिपल के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताएं सामने आईंगुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में अध्यापक विजय गुप्ता को सीनियर होने के चलते 18 अगस्त 2015 से 15 सितंबर 2019 तक प्रिंसिपल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था. प्रिंसिपल के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं।
जांच में यह भी सामने आया कि करीब 5.5 करोड़ रुपए का गबन किया है. इसके बाद यह जांच रिपोर्ट पिछले साल 26 दिसंबर को प्रशासन को सौंप दी गई। इसके बाद जनवरी में विजय कुमार गुप्ता को निलंबित किया गया। जहां कोर्ट ने उनके निलंबन पर स्टे दे दिया। लेकिन मई में उन्हें फिर से निलंबित कर दिया गया। इसके बाद जांच में उन्हें आरोपी पाया गया। जिसके बाद सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है।
क्या है ताजा मामला
खेल विभाग में उपनिदेशक एसएस मिश्रा को साल 2021 में स्पोर्ट्स कॉलेज का कार्यवाहक प्रधानाचार्य के तौर पर तैनाती की गई थी। स्थानीय मीडिया की माने तो उनपर ाासनादेश के विरुद्ध जाकर जेम पोर्टल में तीन स्टार रेटिंग पर ही टेण्डर किया। मेस टेण्डर बि जेम पोर्टल पर बिना ओके ही फर्म का 11 अप्रैल 2022 को एग्रीमेंट कर दिया, जबकि एग्रीमेंट में शर्त है कि सात दिन में जमानत धनराशि जमा करना अनिवार्य है। मगर एसएस मिश्रा ने बना जमानत राशि के कार्यादेश जारी कर दिया।
उन्होंने सिर्फ छह छात्रों की ही फीस जमा की, जबकि वहां तब 213 छात्र पढ़ रहे थे। ऐसे में 206 छात्रों ने विधिक रूप से प्रवेश नहीं लिया। बिना प्रवेश लिए छात्रों ने कॉलेज की भोजन और सुविधाओं का लाभ उठाया। शासन ने एसएस मिश्रा पर लगे आरोपों की प्राथमिक छानबीन कर उन्हें दोषी पाया है। इसके बाद उन्हें निलंबित किया गया है।