अशोक बांबी
लगता है पाकिस्तान की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है । जहां उनका देश बदहाली की कगार पर पहुंच चुका है वही हॉकी के साथ-साथ अब क्रिकेट भी धरातल में पहुंच चुका है।
पाकिस्तान की अप्रत्याशित हार बांग्लादेश के खिलाफ अभी पचा भी नहीं पाए थे कि अंग्रेजों ने उनको एक बार फिर से और नीचे धकेल दिया।
जहां तक पहली पारी का सवाल है पाकिस्तान ने अच्छा खेलते हुए 576 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया था और लगता था कि शायद अंग्रेजों को हराने में कामयाब होंगे लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा।
अंग्रेजों ने जिस प्रकार से भारतीय टीम ने बांग्लादेश के खिलाफ कानपुर में पद्धति अपनाई थी उसी प्रकार से उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ भी यही रणनीति अपनाई और उसमें कामयाब हुए।
यह विश्व क्रिकेट के इतिहास में पहली दफा हुआ है कि जब किसी टीम ने प्रथम पारी में इतना विशाल स्कोर खड़ा किया और वह हार गई।
पाकिस्तान की हार में उनके बल्लेबाजों का काफी बड़ा योगदान है जब चौथे दिन उन्होंने पारी शुरू करी और मात्र 65 रनों पर छह विकेट गिर गए तो उनकी हार स्कोर बुक में लिखी जा चुकी थी।
पुच्छले बल्लेबाजों ने कुछ करने की कोशिश करी लेकिन ज्यादा कुछ कर नहीं पाए और पाकिस्तान टीम को एक शर्मनाक पारी की हार का सामना करना पड़ा।इंग्लैंड की टीम को इस अभूतपूर्व जीत के लिए बधाई।
पाकिस्तान को चाहिए कि भारत के प्रति अपनी सोच को बदले तभी उनको सफलता मिलेगी।
जहां उनके देश का आर्थिक और राजनीतिक रूप से बेड़ा गर्क हो गया है वही पहले हॉकी और अब बाद में क्रिकेट का भी वही हर्ष हो रहा है । उनकी भारत के प्रति नेगेटिव सोच के कारण ही उनका बुरा हाल हो रहा है चाहे राजनीति का क्षेत्र हो या फिर खेल का।
उनके दुर्दिन जल्दी समाप्त होते हुए नजर नहीं आ रहे हैं । जैसा बोया वैसा पाओगे इस कहावत का प्रत्यक्ष उदाहरण है पाकिस्तान।