अशोक बांबी
क्रिकेट और जीवन में कितनी समानता है। जिस प्रकार से जीवन में उतार चढ़ाओ आता है उसी प्रकार से क्रिकेट के खेल में भी एक व्यक्ति विशेष के क्रिकेट जीवन में उतार चढ़ाव आता है । दोनों ही अवस्था में हर कोई चाहता है की उसकी अंतिम विदाई कष्टप्रद ना हो। क्रिकेट के खेल में अक्सर देखा गया है की ज्यादातर प्रथम श्रेणी व टेस्ट खिलाड़ियों की विदाई काफी कष्टप्रद होती है। विरले ही होते हैं जिनकी विदाई उनके इच्छा अनुसार होती है।
आज अश्विन की विदाई भी काफी कष्टप्रद रही । हर खिलाड़ी चाहता है कि उसकी विदाई सम्मानपूर्वक हो लेकिन ज्यादातर खिलाड़ियों की विदाई उनके इच्छा के अनुसार नहीं होती है।
अश्विन को जिस प्रकार से टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के लिए कहा गया है उससे उनका नाराज होना वह अपमानित होना स्वाभाविक है।
अश्विन उच्च श्रेणी के खिलाड़ी रहे हैं व जो उनका भारतीय क्रिकेट में अति विशिष्ट योगदान रहा है उसके देखते हुए उनकी विदाई भी अच्छी से होनी चाहिए थी।
चयनकरता व टीम मैनेजमेंट को उन्हें बता देना चाहिए था की ऑस्ट्रेलिया का दौरा उनका अंतिम दौरा होगा और हम सभी चाहते हैं कि आप सिडनी टेस्ट के बाद टेस्ट क्रिकेट को सम्मानपूर्वक अलविदा कह दे।
दूसरे टेस्ट के पश्चात जहां भारत की करारी शिकस्त हुई थी उसके उपरांत उनका तीसरी व चौथे टेस्ट में खेलना मुश्किल था। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उनको दूसरे टेस्ट के उपरांत ही यह साफ कर दिया गया था कि उनको आगामी मैचों में खिलाना अब संभव नहीं होगा ।
चूंकि सिडनी का विकेट स्पिन गेंदबाजी को मदद करता है अतः वहां पर दो स्पिनरों का खिलाया जाना संभावित है।
टीम मैनेजमेंट को चाहिए था की अश्विन को बता दे कि उनको सिडनी में अपना अंतिम टेस्ट खेलना है तो शायद अश्विन उसके उपरांत खुशी खुशी टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह देते।
जिस प्रकार से उनको क्रिकेट से अलविदा लेने को कहा गया है वह अत्यंत कष्टप्रद तो है ही साथ में एक बेहतरीन खिलाड़ी को अपमानित करने से कम नहीं है।
यदि श्रृंखला प्रारंभ होने से पूर्व उनको यह निर्णय बता दिया जाता तो वे ना तो अपमानित महसूस करते बल्कि खुशी-खुशी टेस्ट क्रिकेट को अलविदा करते। जो भी हो अश्विन एक बेहतरीन खिलाड़ी रहे है और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।