जुबिली न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा कर रही है। इसी कड़ी में पार्टी ने तेलंगाना की 14 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है, लेकिन पार्टी ने अभी हैदराबाद से अपने उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है। तेलंगाना के ग्रेटर हैदराबाद इलाके में ही कांग्रेस सबसे ज्यादा कमजाेर हैं। कांग्रेस के इस स्टैंड राजनीतिक हलकों में AIMIM और कांग्रेस के बीच दोस्ती की चर्चा हो रही है।
कांग्रेस की तरफ से प्रत्याशी का ऐलान नहीं होने अब फ्रेंडली फाइट या फिर कमजोर कैंडिडेट के आसार बढ़ गए हैं। बीच में सानिया मिर्जा का नाम चर्चा में आया था, लेकिन इसके बाद कोई अपडेट सामने नहीं आया है। बीजेपी ने अपनी पहली सूची में ही माधवी लता को उम्मीदवार बनाकर स्पष्ट संकेत दे दिए थे। माधवी लता खुलेआम जीत का दावा कर रही हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है जब असुदद्दीन ओवैसी अपने गढ़ में संघर्ष करते हुए दिख रहे हैं।
ओवैसी की मुश्किले बढ़ सकती है
हैदराबाद में AIMIM चीफ के खिलाफ उतरी माधवी लता अपने अंदाज में ओवैसी को तमाम मुद्दों पर घेर रही हैं। राजनीतिक हलकों में माधवी लता की तरफ से कड़ी टक्कर की चर्चा है। ऐसे में अगर कांग्रेस की तरफ से हैदारबाद से मुस्लिम कैंडिडेट मैदान में आता है तो AIMIM चीफ की मुश्किलें बढ़ सकती है। अगर मुस्लिम चेहरा कोई सेलिब्रिटी हुई तो बीजेपी की राह आसान हो सकती है। ऐसे में ओवैसी अपने घर में फंस सकते हैं। कांग्रेस ने प्रमुख डेयर व्यवसायी अली मसकदी और फ़िरोज़ खान के नामों की चर्चा की थी। अगर सानिया मिर्जा के अलावा ये भी कांग्रेस के प्रत्याशी बनते हैं तो हैदरबाद में ओवैसी की मुश्किलें बढ़ सकती है।
दोनों नेताओं के बदले हैं सुर
कांग्रेस और AIMIM एक दूसरे पर सॉफ्ट हैं। सीएम रेवंत रेड्डी को आरएसएस एजेंट बताने वाले असदुद्दीन ओवैसी के सुर में कुछ बदलाव नजर आ रहा है। सोशल मीडिया पर सीएम रेवंत रेड्डी और औवेसी के बीच अच्छे रिश्ते दिखाने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इनमें ईद के मौके पर इफ्तारी का वीडियो भी शामिल है। इस मौके पर रेवंत रेड्डी ने ओवैसी की तारीफ की थी।
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क्या है कांग्रेस की रणनीति?
ओवैसी को लगा था कि हैदराबाद लोकसभा सीट से पांचवीं बार उनकी जीत पक्की है, लेकिन बीजेपी द्वारा माधवी लता को मैदान में उतारने से ओवैसी को जीत के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। अगर कांग्रेस इस चुनाव में एक मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार उतारती है, तो मुस्लिम वोट कांग्रेस और एमआईएम के बीच बंट जाएंगे और बीजेपी को फायदा होगा। वहीं अगर किसी गैर मुस्लिम को भी रिंग में लाया गया तो भी ओवेसी से डील करने करने के आरोप लगेंगे।