Friday - 15 November 2024 - 7:30 PM

क्या कांग्रेस से अलग होंगे हुड्डा

न्‍यूज डेस्‍क

हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अंदरूनी कलह से जूझ रही कांग्रेस पार्टी के लिए रविवार का दिन काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। एक जमाने में हरियाणा कांग्रेस का मुख्य चेहरा रहे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा रविवार को अपनी नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं।

इससे पहले शनिवार को हुड्डा ने दिल्ली में कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से हुड्डा की मुलाकात नहीं होने को लेकर भी तमाम तरीके की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

माना जा रहा है कि रविवार को रोहतक की महापरिवर्तन रैली में हुड्डा या तो अपनी नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं या राज्य में किसी अन्य दल के साथ चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर सकते हैं।

शनिवार को दिल्ली में पार्टी नेताओं के साथ हुई बैठक को फिलहाल हुड्डा ने सिर्फ एक रूटीन मीटिंग ही बताया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि शीर्ष नेताओं और हुड्डा के बीच हरियाणा में पार्टी संगठन में बदलाव को लेकर विस्तृत रूप से चर्चा हुई है।

हुड्डा ने दिल्ली में मीडिया से सिर्फ इतना कहा,’मैंने सोनिया गांधी से मुलाकात नहीं की है और जहां तक वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक का सवाल है यह सिर्फ एक रूटीन मीटिंग भर है। सभी को रविवार की महापरिवर्तन रैली का इंतजार करना चाहिए।’

राजनीतिक जानकारों की मानें को हरियाणा कांग्रेस के नेता हुड्डा के नेतृत्व में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं हैं। इसकी वजह हाल में हुए लोकसभा चुनाव भी हैं, जिसमें बीजेपी ने हुड्डा के जाट वोटबैंक में सेंधमारी कर दी है। इसके कारण ही हरियाणा में कांग्रेस पार्टी को लोकसभा चुनाव में बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि चार पीढ़ियों से कांग्रेसी रहे हुड्डा को उनके समर्थक पार्टी की ओर से राज्य के सीएम कैंडिडेट के रूप में प्रॉजेक्ट कराना चाहते हैं और इस मांग को कांग्रेस नेतृत्व ने खारिज कर दिया है।

हरियाणा में कांग्रेस के कुल 16 सदस्य हैं, जिनमें हुड्डा को 12 विधायकों का समर्थन हासिल है, वहीं कांग्रेस विधायक दल नेता किरन चौधरी ने अपना समर्थन पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर को दिया है। इसके अलावा विधायकों के अन्य दलों का नेतृत्व रणदीप सुरजेवाला समेत अन्य नेता कर रहे है।

साथ ही भले ही हुड्डा रोहतक की रैली को कांग्रेस की सभा बता रहे हों, लेकिन पार्टी के प्रादेशिक संगठन नें इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं ली है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि प्रादेशिक और राष्ट्रीय संगठन से अपनी नाराजगी के कारण ही हुड्डा अब अपनी नई राह चुन सकते हैं।

सियासत के इस फैसले में हुड्डा की राजनीतिक राह भले ही अलग हो, लेकिन तरीका ठीक वही है, जिसे कि राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपनाया था। हुड्डा से पहले भजन लाल, चौधरी देवी लाल और बंशी लाल जैसे नेता भी अपनी अलग पार्टियों के साथ सियासी लड़ाई लड़ चुके हैं। हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि हुड्डा महापरिवर्तन रैली में अपनी नई पार्टी का ऐलान करेंगे या वह इस बार का चुनाव किसी अन्य दल के निशान पर लड़ेंगे।

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