न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव में करारी हार और राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस की डूबती नाव में भगदड़ मच गई थी, जिसके बाद पार्टी को संभालने के लिए सोनिया गांधी आगे आई और पार्टी की कमान अपने हाथों में लेते हुए हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू की।
सोनिया गांधी ने दोनों राज्यों में चुनावी रैलियां तो नहीं की लेकिन संगठन में कई बड़े बदलाव किए हैं। इसका असर अब दिखने भी लगा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा के चेहरे के सहारे चुनावी मैदान में उतरने का फैसला 4 सिंतबर को लिया था। हरियाणा में हुड्डा को कांग्रेस प्रत्याशियों के चयन से लेकर चुनाव में हर फैसले के लिए पूरी छूट दी गई। हुड्डा ने रण में उतरकर पूरा चुनाव को स्थानीय मुद्दों पर लड़ा और खुद को खट्टर के विकल्प के तौर पर खड़ा किया।
इसी के चलते जाट समुदाय का बड़ा तबका हुड्डा के नाम पर कांग्रेस के साथ एकजुट होता दिखाई दिया। इसका असर एग्जिट पोल में भी नजर आ रहा है। एग्जिट पोल की माने तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा में एक बार फिर संजीवनी बनते नजर आ रहे हैं।
कांग्रेस 15 सीटों से बढ़कर 30 से 42 सीट पाती दिख रही है। ऐसे में एग्जिट पोल के अनुमान नतीजों में तब्दील होते हैं तो यकीनन सवाल उठेगा कि कांग्रेस आलाकमान भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अगर कमान और पहले सौंपी होती तो हरियाणा के नतीजे कुछ और ही होते?
24 अक्टूबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे, लेकिन उससे पहले आए एग्जिट पोल के सर्वे ने बीजेपी की नींद उड़ा दी है। एग्जिट पोल में बीजेपी की सीटें घटती नजर आ रही हैं तो कांग्रेस की सीटों में इजाफा होता दिख रहा है। हालांकि, कांग्रेस-बीजेपी दोनों बहुमत के जादुई आंकड़े को छू नहीं पा रही हैं।
अभी तक आए एग्जिट पोल की माने तो हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 32 और 44 के बीच सीट मिलती दिख रही हैं। जबकि, कांग्रेस को 30 से 42 सीट मिलने का अनुमान है तो जेजेपी को 6 से 10 सीटें और अन्य के खाते में 6 से 10 सीटें जाती दिख रही हैं। हालांकि, 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 47, कांग्रेस 15, इनेलो को 19 और अन्य को 9 सीटें मिली थी।