जुबिली न्यूज डेस्क
राजनीति के जानकार अक्सर कहते हैं कि अन्य दलों की सोच जहां खत्म होती है भाजपा की वहीं से शुरु होती है। इसी का परिणाम है कि बीजेपी को अन्य राजनीतिक दलों को घेरने में पसीने छूट जाते हैं। भाजपा बड़ी ही चतुराई से विपक्ष को ही कटघरे में खड़ी कर देती है।
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दिया। वह हर चुनावी जनसभा व रैलियों में इस नारे को लगवाते थे। भाजपा ने उस नारे के विरोध में एक नया नारा गढ़ दिया-‘मैं भी चौकीदार’। फिर क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस अभियान का शुरुआत किए और देखते ही देखते पूरे देश चौकीदार बन गया।
इसका जिक्र करना इसलिए जरूरी था क्योंकि आज बीजेपी ने ऐसा ही कुछ किया है। विपक्ष के विरोध को बीजेपी ने बड़ी ही चतुराई से बिहार की ओर मोड़ दिया।
नए कृषि बिल को लेकर सदन से लेकर सड़क तक घमासान मचा हुआ है। किसानों से लेकर राजनीतिक दलों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीनों बिल पास करा लिया। इस बिल को लेकर राज्यसभा में खूब हंगामा हुआ। इस हंगामे को बीजेपी ने कैसे बिहार की ओर मोड़ इसे देखिए।
राज्यसभा के जिन आठ सांसदों को सोमवार को सभापति वेंकैया नायडू ने सदन से सात दिनों के लिए निलंबित किया था उन सदस्यों ने विरोध में सोमवार रात संसद के परिसर के अंदर ही बिताई। संसद परिसर के अंदर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास जिस मैदान में सांसद बैठे हुए हैं, वहां मंगलवार सुबह दृश्य और नाटकीय हो गया जब उप-सभापति हरिवंश वहां निलंबित सांसदों के लिए चाय लेकर हाजिर हो गए।
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लेकिन निलंबित सांसदों ने उपसभापति की चाय स्वीकार नहीं की और सरकार से कृषि बिलों को वापस लेने का आग्रह किया।
उपसभापति जी सुबह धरना स्थल पर मिलने आये हमने उनसे भी कहा “नियम क़ानून संविधान को ताक़ पर रखकर किसान विरोधी काला क़ानून बिना वोटिंग के पास किया गया जबकि BJP अल्पमत में थी और आप भी इसके लिये ज़िम्मेदार हैं” pic.twitter.com/Q6QYl15y0B
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) September 22, 2020
रविवार को राज्यसभा में जब बिलों पर मतदान कराने की विपक्ष की मांग को ठुकरा कर बिलों को ध्वनि मत से पारित करा दिया गया था, तब हरिवंश ही सदन की अध्यक्षता कर रहे थे।
विपक्षी सांसदों ने उन पर सरकार के इशारे पर निर्णय लेने का आरोप लगाया था। उसके बाद सांसदों को हरिवंश के सामने नियम पुस्तिका फाड़ते हुए और माइकों को नुकसान पहुंचाते हुए भी देखा गया था। सोमवार को सभापति वेंकैया नायडू ने इसकी निंदा की थी।
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मंगलवार को हरिवंश उन्हीं सांसदों को चाय पिलाने के लिए पहुंच गए। उनकी इस कोशिश की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना की। कई ट्वीटों में प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन सांसदों ने हरिवंश को “अपमानित किया”, “उन पर हमला किया” और “उनके खिलाफ धरने पर भी बैठ गए”, उन्हीं लोगों को “सवेरे-सवेरे अपने घर से चाय ले जाकर” पिलाना उनकी “उदारता और महानता को दर्शाता है।”
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बिहार की धरती ने सदियों पहले पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी थी।
आज उसी बिहार की धरती से प्रजातंत्र के प्रतिनिधि बने श्री हरिवंश जी ने जो किया, वह प्रत्येक लोकतंत्र प्रेमी को प्रेरित और आनंदित करने वाला है।
— Narendra Modi (@narendramodi) September 22, 2020
फिर प्रधानमंत्री ने हरिवंश को “बिहार की धरती से प्रजातंत्र के प्रतिनिधि” बताते हुए उनको बधाई दी। बिहार में बीजेपी के नेता और उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा है कि राज्य सभा में “हरिवंश के साथ हुई घटना” से बिहार के हर व्यक्ति को और “बिहार के गौरव” को चोट पहुंची है।
PRESS RELEASE-2
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किसानों को भ्रष्टाचार व शोषण के दलदल से निकलने
देना नहीं चाहता है विपक्ष-सुशील मोदी* राज्यसभा के उपसभापति से दुव्र्यवहार का बिहार
में खामियाजा भुगतना होगा राजद-कांग्रेस को pic.twitter.com/rAt4ftWtV4— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) September 21, 2020
इससे स्पष्ट है कि बीजेपी रविवार को राज्यसभा में हुई घटना को बिहार विधान सभा चुनावों से जोडऩे की कोशिश कर रही है ताकि उसे बिहार के गौरव पर हमला बता कर बिहार की जनता से विपक्ष के खिलाफ वोट मांगा जा सके।
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उधर, चाय का प्रस्ताव ठुकराए जाने के तुरंत बाद ही हरिवंश ने राज्यसभा के सभापति को एक पत्र लिख कर कहा कि वो रविवार की घटना की वजह से “गहरी आत्मपीडा, आत्मतनाव, मानसिक वेदना में” हैं और संबंधित सांसदों “के अंदर आत्मशुद्धि का भाव जागृत” करने के लिए वो एक दिन के उपवास पर बैठना चाहते हैं।
यही नहीं, उन्होंने इस उपवास के लिए 23 सितंबर की तारीख चुनी है जो राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मतिथि है। हरिवंश के शब्दों में, दिनकर भी “बिहार की धरती पर पैदा हुए” थे और “दो बार राज्यसभा के सदस्य” भी रहे।
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Deputy Chirperson of RS, Harivansh writes to @VPSecretariat and @rashtrapatibhvn announcing his intention of a day long fast in response to the “violent incidents” in RS on Sunday. Cites the Buddha and his own rural roots. @the_hindu pic.twitter.com/3muZzxaJmR
— Nistula Hebbar (@nistula) September 22, 2020
बीजेपी एक तीर से कई निशाने लगा रही है। एक ओर वह इस घटना के मार्फत बिहार से जोड़ कर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रही है तो दूसरे वह विपक्ष को ही कटघरे में खड़ा करने में जुटी है।
इसके अलावा वहीं कृषि बिल के विरोध में देश के किसान लामबंद हैं, उनकी बात सुनने के बजाए लाखों रुपयों के खर्च पर देश के प्रमुख अखबारों में इन विधेयकों के समर्थन में पूरे पन्ने का विज्ञापन दे दिया है। इन विज्ञापनों में विधेयकों के विरोधियों द्वारा कही गई बातों को “झूठ” बताया गया है और सरकार की तरफ से मुख्य बिंदुओं पर सफाई पेश की गई है। इतने विरोध के बाद बीजेपी को बैकफुट पर आ जाना चाहिए था पर वह इस माहौल के अपने पक्ष में करने में लगी हुई है।
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