जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ:- महिला सुरक्षा, सम्मान और स्वावलम्बन सुनिश्चित करने के संकल्प के साथ प्रदेश की योगी सरकार की कोशिशों के सकारात्मक नतीजे मिलने लगे हैं। स्वावलम्बन की बात करें तो पीरियॉडिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की महिला श्रम बल में भागीदारी दर 2017-18 में 14.2 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 32.10 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में महिलाओं के उत्थान के लिए समर्पित प्रयास किए गए, जिसके परिणामस्वरूप यह वृद्धि हुई है।
मुख्यमंत्री की निजी तौर पर निगरानी ने एक ऐसा माहौल तैयार किया है जहां महिलाएं सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर रही हैं, जो उन्हें अभूतपूर्व गति से आत्मनिर्भरता की ओर प्रेरित करती है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में महिला श्रम बल भागीदारी दर 39.80 प्रतिशत दर्ज की, जबकि उत्तर प्रदेश ने 32.10 प्रतिशत की दर दर्ज की. इसके विपरीत, वित्तीय वर्ष 2017-18 में, भारत की महिला श्रम बल भागीदारी दर 25.3 प्रतिशत थी, जबकि यूपी 14.2 प्रतिशत के साथ काफी पीछे था।
पिछले 7 वर्ष में योगी सरकार की नीतियों की समीक्षा करें तो ‘महिला सशक्तिकरण’ शासन की शीर्ष प्राथमिकता के रूप में साफ दिखाई देता है। रोजगार के लिए जो योजनाएँ शुरू की गईं, उसमें महिलाओं को बराबर का भागीदार बनाया जा रहा है। मुद्रा योजना आज गांव-गांव में, गरीब परिवारों से भी नई-नई महिला उद्यमियों को प्रोत्साहित कर रही है। इस योजना के तहत पूरे देश मिले कुल ऋण में से लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं को दिए गए हैं।
दीनदयाल अंत्योदय योजना के जरिए भी देश भर में महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप्स और ग्रामीण संगठनों से जोड़ा जा रहा है। योगी सरकार ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पूरक पुष्टाहार तैयार करने की जिम्मेदारी देकर न केवल संगठित भ्रष्टाचार से निजात दिलाई, बल्कि महिलाओं के एक बड़े वर्ग को आर्थिक स्वावलम्बन से भी जोड़ा। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 2014 से पहले के 5 वर्षों में जितनी मदद दी गई, बीते 7 साल में उसमें लगभग 13 गुणा बढ़ोतरी की गई है।
हर सेल्फ हेल्प ग्रुप को पहले जहां 10 लाख रुपए तक का बिना गारंटी का ऋण मिलता था, अब ये सीमा भी दोगुनी यानि 20 लाख की गई है। राज्य में 80 हज़ार राशन दुकानों में महिला स्वयं सहायता समूह की अहम भूमिका है। दीनदयाल अंत्योदय योजना, जो ग्रामीण गरीब महिलाओं के लिए क्षमता निर्माण और विविध आजीविका के अवसर पैदा करने पर ध्यान देने के साथ ग्रामीण गरीबों को स्व-शासित संस्थानों में संगठित करती है।
इस मिशन ने महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के माध्यम से सफल प्रगति की है और किसानों के रूप में महिलाओं की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया है। सामुदायिक एकजुटता और महिलाओं की संस्थाओं के निर्माण के चरण से आगे बढ़ते हुए, अब ध्यान एसएचजी महिलाओं को उत्पादक समूहों, एफपीओ और निर्माता कंपनियों के माध्यम से उच्च क्रम की आर्थिक गतिविधियों में शामिल करने पर है।
महिला सुरक्षा के लिए योगी सरकार की नीतियां पूरे देश में सराही जा रही हैं। महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध में सजा दिलाने में यूपी पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदेश बनकर उभरा है। महिलाएं रात की पाली में भी काम कर सकें, इसके लिए नियमों को आसान बनाने का काम सरकार ने किया।
खदानों में महिलाओं के काम करने पर जो कुछ बंदिश थी, वो सरकार ने हटाई है। देशभर के सैनिक स्कूलों के दरवाजे, लड़कियों के लिए खोल देने का काम होना ऐतिहासिक है। बलात्कार जैसे संगीन अपराधों की तेज़ सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट्स स्थापित किए हैं।
बालिकाओं को शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए संचालित मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत मिलने वाली सहायता राशि हाल ही में ₹15 हजार से बढ़ाकर ₹25 हजार कर दिया गया है। योजना से अब तक 18.66 लाख बेटियां लाभान्वित हुई हैं। निर्धन परिवारों की बेटियों की शादी के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक योजना संचालित है। इसके अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ ही सामान्य वर्ग के निर्धन परिवार भी आवेदन कर सकते हैं।
योजना का लाभ विधवा और तलाकशुदा भी उठा सकती हैं। एक जोड़े के विवाह पर कुल ₹51 हजार की धनराशि की व्यवस्था है। योजना के तहत अब तक 3.50 लाख जोड़ों का विवाह सम्पन्न कराया जा चुका है। निराश्रित महिला को प्रति लाभार्थी ₹1000 प्रतिमाह पेंशन दी जाती है। वर्तमान में 31.50 लाख निराश्रित महिलाओं पेंशन दी जा रही है। जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं/बालिकाओं को आर्थिक सहायता हेतु इस कोष की स्थापना की गई है।
इसके अंतर्गत 7,105 महिलाओं/बालिकाओं को क्षतिपूर्ति धनराशि प्रदान की गई है। महिलाओं को संगठित, सशक्त, स्वावलम्बी एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए 8.37 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन करते हुए ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों की 1 करोड़ से अधिक महिलाओं को आच्छादित किया गया है। महिला स्वयं सहायता समूहों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत 1,840 उचित मूल्य की दुकानों का आवंटन किया गया है।
आंगनवाड़ी केंद्रों पर वितरित होने वाला पोषाहार अब स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार किया जा रहा है। योगी सरकार की बैंकिंग कॉरस्पॉन्डेंट सखी योजना वित्तीय समावेशन का मॉडल बनकर उभरी है। जन कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में ग्रामवासियों को प्रोत्साहित एवं लाभान्वित करने हेतु प्रदेश की सभी 57 हजार ग्राम पंचायतों में विभिन्न बैंकों के माध्यम से बी.सी. सखी को पदस्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है। इस योजना के माध्यम से प्रदेश की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।
महिला कल्याण योजनाओं की उत्तर प्रदेश में प्रगति
● प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना : प्रदेश में 1.75 करोड़ परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जा चुका है। होली व दीपावली में नि:शुल्क एलपीजी सिलेंडर दिया गया है।
● प्रधानमंत्री आवास योजना : ‘सबके लिए आवास’ का संकल्प लिये यह योजना पात्र व्यक्तियों, खासकर महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है। योजना के अंतर्गत अभी तक प्रदेश में 55.83 लाख आवास निर्मित किए गए हैं। इनमें अधिकांश आवास मातृशक्ति के नाम आंवटित किए गए हैं।
● पी.एम. स्वनिधि योजना : प्रदेश में अब तक 17 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को ऋण वितरित किया जा चुका है। इनमें 2 लाख से अधिक महिलाओं को ऋण दिया गया है, जिससे उनके व्यवसाय का मार्ग प्रशस्त हुआ है और जीवन में खुशहाली आई है।
● स्वच्छ भारत मिशन : प्रदेश में अब तक 2.61 करोड़ शौचालयों (इज्जतघर) का निर्माण कराया जा चुका है। इसके अतिरिक्त नगरीय निकायों में 4,500 पिंक शौचालय निर्मित कराए गए हैं।
● प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना (घरौनी) : योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के उन लोगों को अपनी जमीन का मलिकाना हक़ दिया जा रहा है, जिनकी जमीन किसी भी सरकारी दस्तावेज़ में दर्ज़ नहीं है। मलिकाना हक़ परिवार की महिला सदस्य के नाम अंकित किया जा रहा है। अब तक 66.59 लाख लाभार्थियों/महिलाओं को स्वामित्व प्रमाण पत्र प्रदान किया जा चुका है।
● प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना : योजना के तहत अब तक 54.44 लाख गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को आर्थिक सहायता दी जा चुकी है।
● बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना : योजना के अंतर्गत 1 करोड़ 90 लाख महिलाओं एवं बालिकाओं को जागरूक किया गया।
● मिशन वात्सल्य योजना : प्रदेश में 75,811 बच्चों को उनके माता-पिता/अभिभावकों से मिलाया गया तथा 1,436 संभावित बाल विवाह रोके गये।