जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस 14 नवम्बर को पूरे देश में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। पं. नेहरू बच्चों से बेहद प्यार करते थे। बच्चे भी प्यार से उन्हें चाचा नेहरू कह कर बुलाते थे।
पं. नेहरू जानते थे कि जिस देश के बच्चे स्वस्थ, शिक्षित और चरित्रवान होंगे, जिस देश में उनका शोषण नहीं किया जाएगा, वही देश उन्नति कर सकता है। वह सभी बच्चों का समग्र विकास और उनको शिक्षा के प्रति जागरूक करना चाहते थे।
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पंडित नेहरू मानते थे कि बच्चों के द्वारा ही देश का भविष्य उज्ज्वल बनाया जा सकता है। बच्चे किसी भी राष्ट्र के भावी निर्माता होते हैं। वे बड़े होकर विभिन्न पदों पर आसीन होते हैं, इसके लिए उन्हें उचित मार्गदर्शन की जरूरत होती है।
इसको मनाने का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना, उन्हें सही शिक्षा, पोषण, संस्कार मिलें, यह सुनिश्चित करवाना है।
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हमारे देश में बाल शोषण और बाल मजदूरी को देखते हुए इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है ताकि हम इस दिन यह प्रण ले सकें कि बच्चों के प्रति होने वाले हर शोषण को खत्म किया जा सके।
सभी विद्यालयों में बाल दिवस पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जैसे नृत्य, संगीत, चित्रकला, कहानी,लेखन इत्यादि। बाल दिवस पर बच्चों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में भी बताया जाता है। हालांकि इस बार महामारी और दिवाली के चलते ये सब नहीं हो सका।
बाकी विश्व में हर साल 20 नवम्बर को बाल दिवस मनाया जाता है। 1959 से पहले बाल दिवस अक्तूबर महीने में मनाया जाता था। सर्वप्रथम बाल दिवस जिनेवा के इंटरनैशनल यूनियन फॉर चाइल्ड वैल्फेयर के सहयोग से विश्वभर में अक्तूबर 1953 को मनाया गया था।
वास्तव में ये दिन बच्चों के बीच जानकारियों के आदान-प्रदान और आपसी समझदारी विकसित करने के साथ- साथ उनके कल्याण से जुड़ी लाभार्थी योजनाओं के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
1959 में जिस दिन संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने बच्चों के अधिकारों के घोषणापत्र को मान्यता दी थी, उसी दिन के उपलक्ष्य में 20 नवम्बर को चुना गया। इसी दिन 1989 में बच्चों के अधिकारों के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसे 191 देशों द्वारा पारित किया गया। विश्वभर में बाल दिवस मनाने का विचार दिवंगत श्री वी.के. कृष्णा मेनन का था, जिसे संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा 1954 में अपनाया गया।
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