Saturday - 2 November 2024 - 4:54 PM

भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा है पिछड़ी जातियों के नेताओं की दूरियां मिटाना

नवेद शिकोह

यूपी भाजपा को लेकर आशंकाओं के बादल साफ होने लगे हैं। दूरियों की बात करने वालों को नज़दीकियों की दलीलें दी जा रही हैं। सबसे ख़ास इशारा हुआ है कि आगामी विधानसभा चुनावी महाभारत में भाजपा अपने रथ को विजय पथ पर दौड़ाने के लिए केशव को ही अपना सार्थी बनाएगी। यानी मुख्यमंत्री योगी यदि सबकुछ ठीक रहा तो आदित्यनाथ के चुनावी रथ के सार्थी की भूमिका में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या सामने आ सकते हैं।

हांलाकि संपूर्ण संशय तब ही दूर होगा जब केशव मौर्या मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को चुनाव का चेहरा बताएंगे। गौर तलब है कि वो और   मंत्री स्वामी प्रसाद मोर्य कह चुके हैं कि यूपी के विधानसभा चुनाव का चेहरा तय नहीं है। केंद्रीय नेतृत्व ही ये तय करेगा।

यही नहीं भाजपा के सहयोगी छोटे दलों के पिछड़ी जातियों के नेताओं ने भी अपनी हिस्सेदारी को लेकर दबाव बनाना शुरु कर दिया है।

भाजपा और संघ को पता है कि अगड़ों और पिछड़ों के बीच सामंजस्य से ही यूपी की चुनावी वैतरणी पार हो सकती है। इसलिए पार्टी पिछड़ी जातियों के नेताओं को विश्वास में लेने के प्रयास युद्धस्तर पर कर रही है। मुख्यमंत्री योगी का उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के घर जाना हाईकमान की कोशिशों की एक सफलता का मील का पत्थर है। जिसके बाद केशव प्रसाद का योगी से रिश्तों को लेकर सकारात्मक बयान भी संघ के प्रयासों की सफलता के पहले कदम की बानगी है। केशव का ये बयान कम दिलचस्प नहीं है जिसमें उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और मेरे रिश्तों के बीच आने वाली हर दीवार गिरा दी जाएगी। दीवार का आशय शायद विपक्ष से है।

हांलाकि रिश्तों के रफु भरने की कोशिश सफलता की राह पर ही थी कि विभिन्न पिछड़ी जातियों में पकड़ रखने वाले छोटे दलों के नेताओं ने भाजपा के खिलाफ चक्रव्यूह रचना तेज़ कर दिया है। इसमें कुछ भाजपा गठबंधन के हैं और कुछ बाहर के हैं। जबकि कुछ ऐसे भी हैं जो पिछले विधानसभा चुनाव में साथ थे पर अब रिश्ता तोड़ चुके हैं।

भाजपा प्रमाणों के साथ दावा करने लगी है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा परिवार के बीच सबकुछ ठीक है। राष्ट्रीय और प्रदेश के नेतृत्व के बीच भी ऑल इज़ वेल है। भाजपा में कलह, टकराव, प्रतिस्पर्धा का द्वंद्व, जातियों के बीच वर्चस्व .. जैसी कानाफूसी और कयासों पर आधारित इस तरह की हर खबर का भाजपा ने तस्वीरों के साथ अप्रत्यक्ष खंडन किया है। दिलचस्प बात ये है कि हर खंडन तस्वीर के माध्यम से किया है। मसलन पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच मतभेदों की अटकलों की बयार बह रही थी।

इस बीच मुख्यमंत्री योगी ने दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से मुलाकातें की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा से योगी की मुलाकातों ने आशंकाओं, अनुमानों और सूत्रों की खबरों को खंडित कर दिया था। यूपी सरकार की वेबसाइट से प्रधानमंत्री की तस्वीर ना होने की बात कही गई तो राजधानी लखनऊ नरेन्द्र मोदी की तस्वीरों से पट गया। एम एल सी और यूपी भाजपा उपाध्यक्ष शर्मा से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ कर उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव का चेहरा बताकर तो कयासों के महल की बुनियाद ही हिल गई। मुख्यमंत्री योगी उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास पंहुचना और मुख्यमंत्री योगी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली पंहुचना आपसी रिश्तों में ऑल इज़ वेल साबित करने का प्रमाण देना था। लेकिन अब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और संघ के लिए ये चुनौती है कि यूपी की पिछड़ी जातियों के पार्टी नेताओं व सहयोगी छोटे दलों के नेताओं को विश्वास मे लें। भाजपा की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा रही होगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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