जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
उरई। कीचड़ में कमल खिलने की कहावत तो सबने सुनी है लेकिन मौत बांट रही बाजार की सब्जियों से छुटकारे के लिए शुद्ध और स्वच्छ सब्जियों की पैदावार के लिए भी कीचड़ का सहारा वरदान हो सकता है यह कर दिखाया माधौगढ़ तहसील के हैदलपुरा गांव की मुन्नी देवी, सुनीता, माधुरी, राममूर्ति, भूरी और चंदा आदि महिलाओं ने।
इन अनपढ़, गरीब और अपने घरों तक कैद महिलाओं की जिंदगी में एक नया मोड़ तब आया जब परमार्थ समाज सेवी संस्थान ने इनको पानी पर महिलाओं की पहली हकदारी का अभियान चलाते हुए अपने साथ जोड़ा। इस सिलसिले में इनको भोपाल, दिल्ली और लखनऊ आदि महानगरों में हुए जल संरक्षण सम्मेलनों में भाग लेने का मौका मिला तो इनके अंदर छुपी क्रियेटिविटी जाग पड़ी।
पनाले के पानी को बर्बाद बह जाने से रोकने के लिए इन महिलाओं ने अपने घर के आसपास पड़ी थोड़ी सी जमीन का इस्तेमाल किचन गार्डन के लिए करने का निश्चय किया। इस प्रयोग के तहत उन्होंने पनाले को किचन गार्डन की ओर मोड़ दिया। किचन गार्डन खूब फले फूले जिससे सब्जी के लिए बाजार में खर्च करने की जरूरत इन्हें नहीं रह गई। बाद में जल सहेलियों से संबोधित की जाने वाली इन महिला अग्रदूतों ने अपनी पहल को विस्तार देते हुए बीघा दो बीघा जमीन सब्जियां उगाने के लिए किराये पर लेना शुरू किया।
परमार्थ के निदेशक अनिल सिंह ने महिलाओं का उत्साह देखकर अच्छे बीज और पौध निशुल्क उपलब्ध कराने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया। इनकी कछुवारी में गोबर की खाद का इस्तेमाल रहता है जिसकी वजह से बाजार में इस सब्जी को हाथों हाथ लिया जा रहा है। नतीजतन परिवार की आमदनी का जरिया इस पहल के जरिये तैयार हो गया है।
दूसरी ओर औद्यानिकी को बढ़ावा देने की रोटी खाने वाले विभाग की नजरों से ऐसे प्रयास ओझल रहते हैं जो बिडम्वना का विषय है। अभी तक हैदलपुरा की सब्जी उत्पादक महिलाओं का रजिस्ट्रेशन तक उद्यान विभाग में नहीं हो पाया है। जिसकी वजह से इन महिलाओं को सरकारी प्रोत्साहन का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
वैसे ये महिलाऐं कहती है कि उन्हें इसकी दरकार भी नहीं है क्योंकि सरकारी विभाग लाभ की बजाय घाटा करा देते हैं। उद्यान विभाग ने एक बार उन्हें प्याज का बीज बहुत बेहतर बताकर टिपा दिया था लेकिन इन बीजों का अंकुरण ही नहीं हुआ। नतीजतन उनकी मेहनत बेकार चली गई।
किचन गार्डन की पहल करने वाली यहां की महिलाऐं जल संरक्षण और जल संचयन के तमाम अन्य काम करने के अलावा समूह बनाकर आपसी बचत से एक कोष भी चला रहीं हैं जिससे जरूरत पड़ने पर कोई परिवार बिना ब्याज के कर्जा हासिल कर सकता है। सरकारी स्वयं सहायता समूह जहां कर्जा लेकर हड़प लिए जाने के लिए बदनाम हैं वहीं हैदलपुरा की महिलाओं ने अपने समूह में अभी तक ऐसी कोई दागदार गुंजाइश नहीं पनपने दी है।
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