सुरेंद्र दुबे
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं, जहां वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आगे गुहार लगाएंगे कि पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंध न लगाएं जाए। उनकी हालात एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसे अपने बॉस के पास अपने गुनाहों की माफी मांगने व खाने-पीने के लिए कुछ और खैरात मांगने जाना है। आप सबको मालूम है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों गतिविधियों पर नियंत्रण न पा पाने के कारण अमेरिका सहित दुनिया के बहुत देश उससे नाराज हैं।
पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना अजहर मसूद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसे बहुत संघर्ष के बाद भारत वैश्विक आतंकी घोषित करा पाया है। अगर वो इस आतंकी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाता है तो उसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजरना पड़ेगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की शर्तों को उसे पूरा करना पड़ेगा।
इमरान खान ने अजहर मसूद के मामले में तो चुप्पी साध रखी है पर दुनिया की आंखों में धूल झोकने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और वर्तमान में जमात-उद-दावा के मुखिया हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने का नाटक शुरू कर दिया है, जो 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमले का मास्टमाइंड है। उसकी गिरफ्तारी भी टेरर फंडिंग के आरोपों के तहत की गई है न कि मुंबई आतंकवादी हमले के संबंध में।
इमरान खान ये नाटक इस लिए कर रहे हैं ताकि डोनाल्ड ट्रंप को ये झांसा दे सकें कि देखिए पाकिस्तान में आतंकवादियों के विरूद्ध कार्रवाई शुरू कर दी है। पर इस कार्रवाई से जम्मू- कश्मीर के पुलवामा में हुए उस आतंकी विस्फोट का कोई लेना-देना नहीं है, जिसमें भारत के सीआरपीएफ के 42 जवान शहीद हो गए थे, जिसका बदला लेने के लिए भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर अजहर मसूद के आतंकी अड्डे को तहस-नहस करने का दावा किया गया था।
आपको याद दिलाते चलें कि आज ही वैश्विक आतंकी हाफिज सईद को पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया है। पंजाब की काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट ने हाफिज सईद को लाहौर से उस समय गिरफ्तार कर लिया गया जब वह लाहौर से गुजरांवाला जा रहा था। गिरफ्तारी के बाद हाफिज सईद को न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है। इस दौरान हाफिद सईद ने कहा कि मैं अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ कोर्ट जाऊंगा।
इससे पहले सोमवार को लाहौर की आतंकवाद निरोधी अदालत (ATC) ने जमात-उद-दावा के प्रमुख आतंकी सरगना हाफिज सईद तथा तीन अन्य को जमानत दे दी थी। डॉन न्यूज के मुताबिक, यह फैसला मदरसे की भूमि को अवैध कार्यों के लिए इस्तेमाल किए जाने के एक मामले में लिया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, सईद के अलावा हाफिज मसूद, आमेर हमजा और मलिक जफर को 31 अगस्त तक 50,000 पाकिस्तानी रुपये के मुचलके पर अंतरिम जमानत दी गई। सुनवाई के दौरान, आरोपी के वकील ने अदालत से जमानत की याचिका स्वीकार करने का आग्रह करते हुए कहा कि जमात-उद-दावा भूमि के किसी भी टुकड़े का अवैध रूप से इस्तेमाल नहीं कर रहा है।
इस बीच, लाहौर हाई कोर्ट (एलएचसी) ने संघीय सरकार, पंजाब सरकार और काउंटर-टेररिज्म डिपार्टमेंट (सीटीडी) को सईद और उसके सात सहयोगियों की ओर से दायर याचिका के बारे में नोटिस जारी किया, जिसमें सीटीडी ने एक मामले में चुनौती भी दी थी।
एफएटीएफ के दबाव में आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस जद्दोजहद में लगे हुए हैं कि किसी तरह अमेरिका को झांसा देकर इस पूरे मकड़जाल से पाकिस्तान को निकाल लें और ट्रंप की चापलूसी कर कुछ आर्थिक मदद भी प्राप्त कर लें। क्योंकि पाकिस्तान इस समय बुरी तरह से कर्ज के जाल में फंस गया है और उसे इस जाल से निकलने के लिए और कर्ज की जरूरत है।
पाकिस्तानी सेना व आईएसआई को खुश करने के लिए इमरान के पास डोनाल्ड ट्रंप के सामने झोली फैलाने के अलावा कोई चारा नहीं है। इमरान खान आतंकवादी संगठनों के मदद से ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने हैं यह बात जगजाहिर है। उनके लिए आतंकवादी संगठनों के विरूद्ध कार्रवाई करना असंभव सा है। संभव केवल लोगों की आंख में धूल झोकना ही है जो पाकिस्तान के हर हुक्मरान का चरित्र रहा है।
एफएटीएफ (FATF), पेरिस स्थित ग्लोबल एजेंसी है जो आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाने के लिए काम कर रही है। एफएटीएफ (FATF) ने पाकिस्तान से देश में प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़े एक्शन लेने के लिए कहा है। इससे पहले पाकिस्तान को जून, 2018 में एफएटीएफ ने निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में डाल दिया था।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और पाकिस्तान के चालू खाता घाटे के लगातार बढ़ने की वजह से कई फाइनैंशल ऐनालिस्ट्स का मानना है कि जुलाई में होने वाले आम चुनाव के बाद पाकिस्तान को साल 2013 के बाद अब अपने दूसरे बेलआउट पैकेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। IMF ने पिछली बार पाकिस्तान को 6.7 अरब डॉलर की सहायता दी थी।
मार्च 2018 तक पाकिस्तान ने उससे पहले के 6 महीनो में चीन से 1.2 अरब डॉलर का लोन लिया था। इसी समयावधि के दौरान पाकिस्तानी सरकार ने चीन से 1.7 अरब डॉलर का कॉमर्शियल लोन भी लिया, जो अधिकांश चीनी बैंकों की तरफ से दिए गए। अप्रैल माह में पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ने एक बार फिर चीन के कॉमर्शियल बैंकों से 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया।
चीन ने अब पाकिस्तान को दिवालिया होने से बचाने के लिए दो अरब डॉलर कर्ज देने का फैसला लिया है। एक जमाना था जब अमेरिका, पाकिस्तान का बहुत बड़ा मददगार होता था और उसे जो मदद मिलती थी उसका अधिकांश हिस्सा वो भारत विरोधी कार्यों में करता था, जिसमें नफरत फ़ैलाने से लेकर आतंकवादियों को आर्थिक मदद देना शामिल होता था। धीरे-धीरे आतकंवादी सेना के मदद से पाकिस्तान पर हावी हो गये। आज स्थिति ये है की पाकिस्तान की सत्ता के तीन केंद्र बिंदु है पहला पाकिस्तानी सरकार, दूसरा मिलिट्री व आइएसआई और तीसरा आतंकवादी संगठन।
अमेरिका अपनी दादागिरी बनाये रखने के लिए कोई न कोई पेंच अडा़ सकता है ताकि पाकिस्तान के मुद्दे पर भारत को हमेशा अमेरिका हस्तछेप या कूटनीतिक मदद की जरूरत बनी रहे। वैसे इस समय तो ट्रम्प साहब ये भी कह रहे है कि उनके पास पक्की जानकारी है की दाउद पाकिस्तान में ही छुपा है पर हमें यह गलतफ़हमी नहीं होनी चाहिए की अमेरिका दाउद मामले पर भारत की कोई मदद करेगा। रही बात पाकिस्तान की तो लगातार यही कहता रहा है की दाउद उसके देश में नहीं है।
हालांकि, भारत सरकार तमाम सबूत सौंपकर पाकिस्तान पर ये दबाव बनाने की कोशिश कर चुकी है की वह दाउद को उससे सौंप दें, पर पाकिस्तान है की मानता ही नहीं। माना तो उसने ये भी नहीं था की अल कायदा का प्रमुख ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में ही है। जब अमेरिका के टुकड़ों पर पलने के बावजूद पाकिस्तान ओसामा बिन लादेन को एबटाबाद में सैन्य मुख्यालय के बगल में अपने देश में पनाह दिए रहा, जिसे अमेरिका ने अपने सील नेवी कमांडरों की ताकत से मर गिराया था तब ये उम्मीद करने का कोई मतलब नहीं है की दाउद पाकिस्तान में ही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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